Wednesday, December 2, 2020

एक हफ्ते के भीतर मिले इन दो धातु स्तम्भों का रहस्य क्या है?


हाल में दुनिया के दो देशों में दो रहस्यमय धातु स्तम्भ देखे गए हैं, जिन्हें लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। इन दो के बाद कैलिफोर्निया में एक तीसरा स्तम्भ मिलने की खबर आई है। इनके पीछे किसी सिरफिरे कलाकार की परिकल्पना से लेकर अंतरिक्ष के किसी बुद्धिमान प्राणी का हाथ तक माना जा रहा है। पिछले नवंबर महीने में अमेरिका के यूटा (Utah) क्षेत्र में वन्य-जीवन से जुड़ी एक संस्था एक निर्जन क्षेत्र में हेलीकॉप्टर से सर्वे कर रही थी कि उसे एक पथरीली घाटी की तलहटी में धातु का स्तम्भ नजर आया। 

हेलीकॉप्टर उतारा गया और उसे देखने के बाद किसी को समझ में नहीं आया कि उस स्तम्भ का उद्देश्य क्या हो सकता है। किसने इसे स्थापित किया होगा? बहरहाल 23 नवंबर को यूटा के डिपार्टमेंट ऑफ पब्लिक सेफ्टी ने इस स्तम्भ के मिलने की घोषणा की और यह अनुमान भी लगाया कि शायद यह किसी मूर्तिकार-कलाकार की परिकल्पना है, जिसने इसे ऐसी अनोखी जगह लगाया है। या किसी का वैज्ञानिक प्रयोग है? किसी स्टंटमैन की करामात?

Tuesday, December 1, 2020

क्या है भाग्यलक्ष्मी मंदिर और भाग्यनगर की पृष्ठभूमि?


शनिवार को गृहमंत्री अमित शाह ने हैदराबाद के भाग्यलक्ष्मी मंदिर में दर्शन किए। उनके साथ ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने इस शहर का नाम बदल कर भाग्यनगर रखने का सुझाव दिया। क्या इन दोनों का कोई आपसी संबंध है?

क्या है भाग्यलक्ष्मी मंदिर की पृष्ठभूमि? हैदराबाद की प्रसिद्ध चारमीनार की दक्षिण पश्चिम मीनार की दीवार से लगा यह देवी महालक्ष्मी का मंदिर है। यह कोई प्राचीन इमारत नहीं है। इसकी छत टीन की है और इसकी पिछली दीवार वस्तुतः मीनार की दीवार है। इस बात का कोई आधिकारिक विवरण उपलब्ध नहीं है कि यह मंदिर कब बना, पर ज्यादातर लोग मानते हैं कि यह साठ के दशक में पहली बार देखा गया था।


एंड्रयू पीटरसन की डिक्शनरी ऑफ इस्लामिक आर्किटेक्चर के अनुसार हैदराबाद शहर का पुराना नाम बाग़नगर यानी बगीचों का शहर था। मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने इसका नाम बदलकर हैदराबाद कर दिया। किंवदंती यह भी है कि कुली कुतुब शाह की प्रेमिका (और रानी, जो हिंदू थी) भागमती के नाम पर यह नाम पड़ा। इस आशय के किस्से काफी प्रचलन में हैं। लिखित इतिहास के अनुसार कुली कुतुब शाह ने अपनी राजधानी को गोलकुंडा से बाहर ले जाने के लिए इस शहर का निर्माण किया था।

शेहला रशीद का पारिवारिक विवाद

 


जेएनयू की पूर्व छात्रा शेहला रशीद के पिता अब्दुल रशीद ने सोमवार 30 नवंबर को अपनी बेटी पर राष्ट्र-विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने यह भी कहा है कि उनकी जान को अब खतरा है। इसके लिए उन्होंने पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर सुरक्षा की मांग की है। यह भी कहा कि मुझे अपनी ही बेटी से जान का खतरा है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पत्नी जुबैदा शौर, बड़ी बेटी आसमा रशीद और एक पुलिसकर्मी साकिब अहमद भी उसके साथ है। पर कुल मिलाकर यह मामला पारिवारिक झगड़े का है। इसे तूल देने से कुछ निकलेगा नहीं। उनकी बातों से कश्मीर की राजनीति की कुछ अंदरूनी बातें सामने आएं, तभी उनका महत्व है।

सवाल शेहला रशीद के राजनीतिक विचारों और राजनीति में उनकी प्राथमिकताओं का नहीं है। इसमें दो राय नहीं कि वे प्रगतिशील मुस्लिम कार्यकर्ता के रूप में स्थापित हो चुकी हैं, पर लगता है कि उनके परिवार में किसी बात पर गहरा मतभेद है, जो सामने आ रहा है। इस मतभेद का तबतक कोई मतलब नहीं है, जबतक उसके गहरे निहितार्थ नहीं हों। शेहला ने बयान जारी करते हुए कहा कि परिवार में ऐसा नहीं होता, जैसा मेरे पिता ने किया है। उन्होंने मेरे साथ-साथ मेरी मां और बहन पर भी बेबुनियाद आरोप लगाए हैं।

Monday, November 30, 2020

हैदराबाद के निकाय चुनाव में अमित शाह और योगी को क्यों जाना पड़ा?

 


ग्रेटर हैदराबाद नगर निकाय चुनाव के प्रचार में अमित शाह और योगी आदित्य नाथ के उतर जाने के बाद देश का ध्यान इस तरफ गया है। आखिर क्या बात है इस चुनाव में? देश के गृहमंत्री को स्थानीय निकाय चुनाव के प्रचार में जाने की जरूरत क्यों पड़ी? इसके राजनीतिक कारण भी साफ हैं। बीजेपी को तेलंगाना में प्रवेश का रास्ता नजर आ रहा है। मुकाबले में टीआरएस, कांग्रेस और AIMIM के शामिल हो जाने से यह इतना खुला चुनाव हो गया है कि बीजेपी को सफलता के आसार नजर आ रहे हैं।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को तब धक्का लगा, जब AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवेसी ने कहा कि ग्रेटर हैदराबाद के निकाय चुनाव हम अकेले ही लड़ेंगे। उनके अनुसार ऐसे कई क्षेत्र हैं, जहां टीआरएस AIMIM से प्रतिस्पर्धा कर रही है, और ऐसे में दोनों का साथ आना श्रेयस्कर नहीं होगा। यों भी बिहार की सफलता के बाद AIMIM अपनी ताकत के विस्तार को दिखाना चाहती है। उसे पता है कि बहुमत नहीं मिलेगा, पर एक हैसियत बनेगी। यही उसका लक्ष्य है। इस चुनाव में टीआरएस 150 सीटों पर, बीजेपी 149 और कांग्रेस 146 पर चुनाव लड़ रही है। AIMIM ने 51 प्रत्याशियों को टिकट दिए हैं।

नेपाल में भारतीय पहल से घबराया चीन

प्रधानमंत्री ओली के साथ चीन के रक्षामंत्री

लगता है कि भारत ने नेपाल के साथ रिश्तों को सुधारने की जो कोशिश की है उसे लेकर चीन में किसी किस्म की चिंता जन्म ले रही है। रविवार 29 नवंबर को चीन के रक्षामंत्री वेई फेंगही नेपाल के एक दिन के दौरे पर आए। यह दौरा
अचानक ही बना। पर इसके पीछे भारत के थल सेनाध्यक्ष और विदेश सचिव के दौरे हैं, जो इसी महीने हुए हैं। उनके आगमन के कुछ दिन पहले 24 नवंबर को चीन के तीन अधिकारियों की एक टीम काठमांडू आई थी, पर इस तैयारी को अचानक हुई गतिविधि ही माना जाएगा। उन्होंने इस दौरान नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली, जो रक्षामंत्री भी हैं और राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी तथा नेपाली सेना के प्रमुख पूर्ण चंद्र थापा से मुलाकात की और शाम को यहाँ से पाकिस्तान रवाना हो गए।

इस दौरान चीन-नेपाल रिश्तों को लेकर बातें हुईं और कोरोना के कारण रुके हुए कार्यक्रमों को फिर से शुरू करने पर सहमति बनी। इनमें ट्रेनिंग और छात्रों के आदान-प्रदान का कार्यक्रम तथा कुछ शस्त्रास्त्र की आपूर्ति शामिल है। पर जिस तरह से यह यात्रा हुई, उससे लगता है कि कोई और महत्वपूर्ण बात इसके पीछे थी।