Tuesday, November 3, 2020

पाकिस्तान: आतंक जिसकी विदेश नीति है

दुनिया को धीरे-धीरे समझ में आ रहा है कि पाकिस्तान किसी देश का नाम नहीं, वह एक आंतकी अवधारणा है। उसका प्रधानमंत्री संरा महासभा में खून की नदियाँ बहाने और एटम बम चलाने की धमकी दे सकता है। हाल के वर्षों में उसने तुर्की और चीन जैसे दो ऐसे देशों को अपना संरक्षक बनाया है, जो खुद अपनी हिंसक और अराजक गतिविधियों के कारण वैश्विक आलोचना के पात्र बन रहे हैं।

गत 21 से 23 अक्तूबर तक पेरिस में हुई फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की वर्च्युअल बैठक में फैसला हुआ कि आतंकी गतिविधियों पर नियंत्रण के लिए पाकिस्तान को जो काम निर्धारित समय में पूरा करने के लिए कहा गया था, वे पूरे नहीं हो पाए हैं, इसलिए उसे ‘ग्रे लिस्ट’ में ही रखा जाएगा। पाकिस्तान को अब सुधरने के लिए फरवरी 2021 तक का समय और दिया गया है।

राष्ट्रीय रणनीति!

अराजकता और आतंक जिस देश की घोषित रणनीति है, उसके सुधरने की क्या उम्मीद की जाए? पाकिस्तान कैसे सुधरेगा? हम जिन्हें आतंकवादी कहते हैं, उन्हें वह राष्ट्रनायक कहता है। अलबत्ता अपनी गतिविधियों के कारण वह चारों तरफ से घिरने लगा है। एफएटीएफ की कार्रवाई के अलावा इसके कुछ और उदाहरण भी सामने हैं।

पश्चिम एशिया पर सबसे विश्वसनीय पत्रकार रॉबर्ट फिस्क का निधन

 


पश्चिम एशिया को विश्वसनीय तरीके से कवर करने के लिए प्रसिद्ध पत्रकार रॉबर्ट फिस्क (Robert Fisk)  के निधन की खबर भारत के बहुत कम पत्रकारों की दिलचस्पी का विषय रही। उनका ज्यादा से ज्यादा इस बात के लिए उल्लेख हुआ कि उन्होंने ओसामा बिन लादेन का तीन बार इंटरव्यू किया था। अरबी भाषा बोलने वाले रॉबर्ट फिस्क पश्चिमी दुनिया के उन इने-गिने पत्रकारों में से एक रहे हैं, जिन्होंने करीब 40 साल तक इस इलाके को काफी गहराई से कवर किया। फिस्क 12 वर्ष से ज्यादा समय तक अंग्रेज़ी अख़बार द इंडिपेंडेंट के लिए पश्चिम एशिया के रिपोर्टर रहे। उन्हें मिडिल ईस्ट की कवरेज के कारण कई ब्रिटिश और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले। उन्हें सात बार ब्रिटेन का वार्षिक अंतरराष्ट्रीय पत्रकार पुरस्कार भी मिला। विभिन्न युद्धों पर उनकी कई किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं।

राज्यसभा में बीजेपी अपने उच्चतम स्तर पर

 उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की राज्यसभा की 11 सीटों के लिए निर्विरोध चुनाव के बाद सदन में 92 सांसदों के साथ भाजपा और मजबूत हो गई है। दूसरी तरफ, कांग्रेस और घटकर 38 सीटों पर आ गई है। भाजपा की यह सदस्य संख्या उसकी अभी तक की सर्वोच्च संख्या है। हालांकि, उच्च राज्यसभा में एनडीए का बहुमत अभी दूर है। 245 के सदन में बहुमत के लिए 123 सदस्यों की जरूरत होगी। जेडीयू के 5 और रिपब्लिकन पार्टी के रामदास आठवले को मिलाकर कुल 98 सदस्य होते हैं। पर बीजद के नौ और अद्रमुक के नौ सदस्य जरूरत पड़ने पर मददगार होते हैं।

उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की 11 राज्य सभा सीटों के लिए हुए चुनाव में उत्तर प्रदेश की 10 और उत्तराखंड की एक सीट शामिल थी। भाजपा ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा में अपनी सदस्य संख्या के हिसाब से आठ उम्मीदवार उतारे थे। वे सभी चुनकर आए हैं। इनमें तीन केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी, सांसद अरुण सिंह और नीरज शेखर फिर से चुने गए हैं। यूपी के पूर्व डीजीपी ब्रजलाल, हरिद्वार दुबे, गीता शाक्‍य, सीमा द्विवेदी और बीएल वर्मा भी चुने गए हैं। हरिद्वार दुबे भाजपा के पूर्व मंत्री रहे हैं।

Monday, November 2, 2020

गिलगित-बल्तिस्तान पर पाकिस्तानी फैसले का भारत की ओर से कड़ा विरोध


पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के गिलगित-बल्तिस्तान को प्रांत का अस्थायी दर्जा देने के फ़ैसले का भारत ने कड़ा विरोध किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा है कि भारतीय क्षेत्र के हिस्से में ग़ैरक़ानूनी और जबरन भौतिक परिवर्तन लाने की पाकिस्तान सरकार की कोशिश को भारत सरकार अस्वीकार करती है। पाकिस्तान का इस क्षेत्र पर किसी भी प्रकार का दावा नहीं बनता है।

उन्होंने कहा, "मैं इस बात को दोहराता हूं कि तथाकथित गिलगित-बल्तिस्तान इलाक़ा क़ानूनी तौर पर और 1947 के विलय के समझौते के मुताबिक़ भारत के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर का अभिन्न हिस्सा है…हम अपने अवैध कब्ज़े के तहत सभी क्षेत्रों को तुरंत खाली करने की पाकिस्तान से अपील करते हैं।"

इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा था कि उनकी सरकार ने गिलगित-बल्तिस्तान को प्रांत का अस्थायी दर्जा देने का निर्णय लिया है। उनका कहना था कि "संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।" इमरान ख़ान ने रविवार 1 नवंबर को को गिलगित-बल्तिस्तान के कथित 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित आज़ादी परेड समारोह को संबोधित करते हुए यह ऐलान किया।

अमेरिकी चुनाव में किसका पलड़ा कहाँ भारी

 

Courtesy: The Hindu

अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में मतदाता मंडल यानी कि इलेक्टोरल कॉलेज की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। इस चुनाव में कुल 538 मतदाता चुने जाएंगे। हरेक राज्य के मतदाता वहाँ की जनसंख्या के आधार पर तय होते हैं। एक राज्य में राष्ट्रपति पद के जिस प्रत्याशी के सबसे ज्यादा वोट होते हैं, वह राज्य पूरा का पूरा उस प्रत्याशी का समर्थक हो जाता है। यानी कैलिफोर्निया के 55 मतदाता हैं, तो सब उस प्रत्याशी के खाते में चले जाएंगे। 

Electoral votes (EV) allocations for the 2012, 2016 and 2020 presidential elections.[119]
Triangular markers (IncreaseDecrease) indicate gains or losses following the 2010 Census.[120]
EV × StatesStates*
55 × 1 = 55California
38 × 1 = 38IncreaseIncreaseIncreaseIncreaseTexas
29 × 2 = 58IncreaseIncreaseFlorida, DecreaseDecreaseNew York
20 × 2 = 40DecreaseIllinois, DecreasePennsylvania
18 × 1 = 18DecreaseDecreaseOhio
16 × 2 = 32IncreaseGeorgia, DecreaseMichigan
15 × 1 = 15North Carolina
14 × 1 = 14DecreaseNew Jersey
13 × 1 = 13Virginia
12 × 1 = 12IncreaseWashington
11 × 4 = 44IncreaseArizona, Indiana, DecreaseMassachusetts, Tennessee
10 × 4 = 40Maryland, Minnesota, DecreaseMissouri, Wisconsin
9 × 3 = 27Alabama, Colorado, IncreaseSouth Carolina
8 × 2 = 16Kentucky, DecreaseLouisiana
7 × 3 = 21Connecticut, Oklahoma, Oregon
6 × 6 = 36Arkansas, DecreaseIowa, Kansas, Mississippi, IncreaseNevada, IncreaseUtah
5 × 3 = 15Nebraska**, New Mexico, West Virginia
4 × 5 = 20Hawaii, Idaho, Maine**, New Hampshire, Rhode Island
3 × 8 = 24Alaska, Delaware, District of Columbia*, Montana, North Dakota, South Dakota, Vermont, Wyoming
= 538Total electors
विकीपीडिया से साभार