कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने यह कहकर सनसनी फैला दी है कि जबतक अनुच्छेद 370 की वापसी नहीं होगी, तबतक मैं तिरंगा झंडा नहीं फहराऊँगी। उनका कहना है कि जब हमारे झंडे की वापसी होगी, तभी मैं तिरंगा हाथ में लूँगी। उनके इस बयान की आलोचना केवल भारतीय जनता पार्टी ने नहीं की है। साथ में कांग्रेस ने भी की है।
करीब 14 महीने की कैद के बाद हाल में रिहा हुई महबूबा ने
शुक्रवार 23 अक्तूबर को कहा कि जबतक गत वर्ष 5 अगस्त को हुए सांविधानिक परिवर्तन
वापस नहीं लिए जाएंगे, मैं चुनाव भी नहीं लड़ूँगी। महबूबा की प्रेस कांफ्रेंस के
दौरान पूर्व जम्मू-कश्मीर राज्य का झंडा भी मेज पर रखा था। पिछले साल महबूबा ने
कहा था कि यदि कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया, तो कोई भी तिरंगा उठाने वाला
नहीं रहेगा। अब उन्होंने कहा है कि हमारा उस झंडे से रिश्ता इस झंडे ने बनाया है।
वह इस झंडे से अलग नहीं है।
महबूबा मुफ्ती का आशय कश्मीर की स्वायत्तता से है। भारतीय संघ में अलग-अलग इलाकों की सांस्कृतिक, सामाजिक और भौगोलिक विशेषता को बनाए रखने की व्यवस्थाएं हैं। जम्मू कश्मीर की स्वायत्तता का सवाल काफी हद तक राजनीतिक है और उसका सीधा रिश्ता देश के विभाजन से है। यह सच है कि विभाजन के समय कश्मीर भौगोलिक रूप से पाकिस्तान से बेहतर तरीके से जुड़ा था। गुरदासपुर और फिरोजपुर भारत को न मिले होते तो कश्मीर से संपर्क भी कठिन था। पाकिस्तान का कहना है कि कश्मीर चूंकि मुस्लिम बहुल इलाका है, इसलिए उसे पाकिस्तान में होना चाहिए। इसका क्या मतलब निकाला जाए?