नागरिकता संशोधन
कानून को लेकर जितनी लहरें देश में उठ रही हैं,
तकरीबन उतनी ही
विदेश में भी उठी हैं। भारतीय राष्ट्र-राज्य में मुसलमानों की स्थिति को लेकर कई
तरह के सवाल हैं। इस सिलसिले में अनुच्छेद 370 और 35ए को निष्प्रभावी बनाए जाने से लेकर पूरे जम्मू-कश्मीर में
संचार-संपर्क पर लगी रोक और अब नागरिकता कानून के विरोध में शिक्षा संस्थानों तथा
कई शहरों में हुए विरोध प्रदर्शनों की गूँज विदेश में भी सुनाई पड़ी है। गत 18 से 21 दिसंबर के बीच
क्वालालम्पुर में इस्लामिक देशों का शिखर सम्मेलन अपने अंतर्विरोधों का शिकार न
हुआ होता, तो शायद भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सुर्खियाँ
बन चुकी होतीं।
हुआ क्या था?
सवाल यह है कि
भारत अपनी छवि को सुधारने के लिए राजनयिक स्तर पर कर क्या कर रहा है? यह सवाल भारत में नहीं अमेरिका में उठाया गया है। भारत और
अमेरिका के बीच ‘टू प्लस टू’ श्रृंखला की बातचीत के सिलसिले में रक्षामंत्री
राजनाथ सिंह और विदेशमंत्री एस जयशंकर अमेरिका गए हुए थे। गत 18 अक्तूबर को दोनों देशों ने इसके तहत सामरिक और विदेश-नीति
के मुद्दों पर चर्चा की। इसी दौरान जयशंकर ने कई तरह के प्रतिनिधियों से मुलाकातें
कीं। इनमें एक मुलाकात संसद की फॉरेन अफेयर्स कमेटी के साथ भी होनी थी, जिसमें डेमोक्रेटिक पार्टी की सांसद प्रमिला जयपाल का नाम
भी था।