पाकिस्तान में जनरल कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल सुप्रीम
कोर्ट ने छह महीने के लिए बढ़ा तो दिया है, पर इस प्रकरण ने इमरान खान की सरकार को
कमजोर कर दिया है। सरकार को अब संसद के मार्फत देश के सेनाध्यक्ष के कार्यकाल और
उनकी सेवा-शर्तों के लिए नियम बनाने होंगे। क्या सरकार ऐसे नियम बनाने में सफल
होगी? और क्या यह कार्यकाल अंततः तीन साल के लिए
बढ़ेगा? और क्या तीन साल की यह अवधि ही इमरान खान सरकार
की जीवन-रेखा बनेगी? इमरान खान को सेना ने ही खड़ा किया है। पर अब
सेना विवाद का विषय बन गई है, जिसके पीछे इमरान सरकार की अकुशलता है। तो क्या वह
अब भी इस सरकार को बनाए रखना चाहेगी? सेना के भीतर
इमरान खान को लेकर दो तरह की राय तो नहीं बन रही है?
सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी सुनवाई के दौर यह सवाल किया था कि
आखिर तीन साल के पीछे रहस्य क्या है? देश की सुरक्षा के सामने वे कौन से ऐसे मसले हैं
जिन्हें सुलझाने के लिए तीन साल जरूरी हैं? पहले उन परिस्थितियों पर नजर डालें, जिनमें इमरान खान की सरकार ने जनरल बाजवा
का कार्यकाल तीन साल बढ़ाने का फैसला किया था। यह फैसला भारत में कश्मीर से
अनुच्छेद 370 और 35ए को निष्प्रभावी बनाए जाने के दो हफ्ते बाद किया गया था। संयोग
से उन्हीं दिनों मौलाना फज़लुर रहमान के ‘आज़ादी मार्च’ की खबरें हवा में थीं।