Monday, August 24, 2015

पूर्व सैनिक अधीर क्यों हैं?

वन रैंक, वन पेंशन को लेकर विवाद अनावश्यक रूप से बढ़ता जा रहा है। सरकार को यदि इसे देना ही है तो देरी करने की जरूरत नहीं है। साथ ही पूर्व सैनिकों को भी थोड़ा धैर्य रखना चाहिए। जिस चीज के लिए वे तकरीबन चालीस साल से लड़ाई लड़ रहे हैं, उसे हासिल करने का जब मौका आया है तब कड़वाहट से क्या हासिल होगा? प्रधानमंत्री की इच्छा थी कि स्वतंत्रता दिवस के भाषण में इस घोषणा को शामिल किया जाए, पर अंतिम समय में सहमति नहीं हो पाई। यह बात पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक ने बताई है, जो इस मामले में मध्यस्थता कर रहे थे। यह तो जाहिर है कि सरकार के मन में इसे लागू करने की इच्छा है।

धरने पर बैठे पूर्व फौजियों ने पहले माना था कि वे अपने विरोध को ज्यादा नहीं बढ़ाएंगे लेकिन भूख हड़ताल पर बैठे लोगों ने आंदोलन वापस लेने से इंकार कर दिया। बल्कि क्रमिक अनशन को आमरण अनशन में बदल दिया। वे कहते हैं कि यह पैसे की लड़ाई नहीं है, बल्कि हमारे सम्मान का मामला है। इस बीच पूर्व सैनिकों के साथ दिल्ली पुलिस ने जो अभद्र व्यवहार किया, उसने आग में घी डालने का काम किया। हम इस तरह सैनिकों का सम्मान करते हैं? कह सकते हैं कि डेढ़ साल से सरकार क्या कर रही थी? पर ऐसा भी नहीं कि वह कन्नी काट रही है।

Sunday, August 23, 2015

उफा के बाद उफ!!

भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत शुरू होने की सम्भावना जन्म ले रही थी कि उसकी अकाल मौत हो गई। यह मामला अब वर्षों नहीं तो कम से कम महीनों के लिए टल गया। भारत की तरफ से अलबत्ता पिछले साल अगस्त में जो लाल रेखा खींची गई थी, वह और गाढ़ी हो गई है। इसका मतलब है कि भविष्य में बात तभी होगी जब पाकिस्तान बातचीत के पहले और बाद में हुर्रियत के नेताओं से बात न करने की गारंटी देगा। या भारत को अपनी यह शर्त हटानी होगी।

Thursday, August 20, 2015

भारत-पाक वार्ता में अड़ंगे क्यों लगते हैं?

23 अगस्त को भारत के सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और पाकिस्तान के विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज़ अजीज की बातचीत के ठीक पहले हुर्रियत के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत रखकर पाकिस्तान ने क्या संदेश दिया है? एक, कश्मीर हमारी विदेश नीति का पहला मसला है, भारत गलतफहमी में न रहे। समझना यह है कि यह बात को बिगाड़ने की कोशिश है या सम्हालने की? भारत सरकार ने बावजूद इसके बातचीत पर कायम रहकर क्या संदेश दिया है?  इस बीच हुर्रियत के नेताओं को नजरबंद किए जाने की खबरें हैं, पर ऐसा लगता है कि हुर्रियत वाले भी चाहते हैं कि उनके चक्कर में बात होने से न रुके। कश्मीर का समाधान तभी सम्भव है जब सरहद के दोनों तरफ की आंतरिक राजनीति भी उसके लिए माहौल तैयार करे।

Wednesday, August 19, 2015

यूएई और भारत, दोनों के लिए मौका

संसदीय गतिरोध और राष्ट्रीय राजनीति में भाजपा के गिरते ग्राफ की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूएई यात्रा क्या मददगार साबित होगी?  इस यात्रा से भारत में बेहतर पूँजी निवेश, इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में निर्माण की सम्भावनाओं और खाड़ी के देशों में रहने वाले भारतीयों के लिए सेवा के अवसर बढ़ेंगे. पर केवल इतना ही नहीं. पश्चिम एशिया में शक्ति संतुलन बदल रहा है, जिसके बरक्स भारत को अपनी भूमिका में भी बदलाव लाना होगा. सवाल है कि अचानक हुई इस यात्रा का मकसद क्या था.  

Saturday, August 15, 2015

आज़ादी की लड़ाई अभी बाकी है

जब हम 68 साल की आज़ादी पर नजर डालते हैं तो लगता है कि हमने पाया कुछ नहीं है। केवल खोया ही खोया है। पर लगता है कि पिछले पाँच से दस साल में खोने की रफ्तार बढ़ी है। राजनीति, प्रशासन, बिजनेस और सांस्कृतिक जीवन यहाँ तक कि खेल के मैदान में भी भ्रष्टाचार है। जनता अपने ऊपर नजर डाले तो उसे अपने चेहरे में भी भ्रष्टाचार दिखाई देगा। कई बार हम जानबूझकर और कई बार मजबूरी में उसका सहारा लेते हैं। भ्रष्टाचार केवल कानूनी समस्या नहीं जीवन शैली  है। इसका मतलब समझें।  

इतिहास की यात्रा पीछे नहीं जाती। मानवीय मूल्य हजारों साल पहले बन गए थे, पर उन्हें लागू करने की लड़ाई लगातार चलती रही है और चलती रहेगी। भ्रष्टाचार एक बड़ा सत्य है, पर ऐसी व्यवस्थाएं, ऐसे समाज और ऐसे व्यक्ति भी हैं जो इसके खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। इसका इलाज तभी सम्भव है जब व्यवस्था पारदर्शी और न्यायपूर्ण हो। जब तक व्यक्तियों के हाथों में विशेषाधिकार हैं, भेदभाव का अंदेशा रहेगा।