भारत के राष्ट्रीय आंदोलन
के सिलसिले में चौरी चौरा का नाम अक्सर सुनाई पड़ता है, जब महात्मा गांधी ने
आंदोलन के हिंसक हो जाने के बाद उसे वापस ले लिया था। हिंसा से आहत गांधी ने सविनय
अवज्ञा आंदोलन को स्थगित कर दिया, जो बारदोली से शुरू होने वाला था। गांधी की
राजनीति दीर्घकालीन थी। उसमें साधन और साध्य की एकता को साबित करने की इच्छा थी। लगता
है कि अरविंद केजरीवाल को किसी बात की जल्दी है। उनके दो दिन के आंदोलन के दौरान
एक बात साफ दिखाई पड़ी कि वे जितना करते हैं उससे ज्यादा दिखाते हैं। केंद्र सरकार
की भी किरकिरी हो रही थी, इसलिए ‘आप’ को नाक बचाने का मौका दिया। और केजरीवाल ने शुक्रिया के
अंदाज में इसे ‘महान विजय’ घोषित कर दिया।
Thursday, January 23, 2014
Wednesday, January 22, 2014
राजनीति की आइटम गर्ल 'आप'
दिल्ली में आप का आंदोलन वापस हो गया, पर तमाम सवाल छोड़ गया। क्या साबित करने के लिए यह आंदोलन हुआ था? दिल्ली की जनता को प्रयोगशाला के जानवरों की तरह इस्तेमाल क्यों किया जाता है? केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार चाहतीं तो यह विवाद खड़ा ही नहीं होता। इस आंदोलन के कारण आम आदमी पार्टी ्वधारमा पर गम्भीर बहस भी शुरू हो गई है। क्या यह आंदोलन किसी नई राजनीति की शुरूआत है या पुरानी राजनीति में जगह न बना पाने वालों की अतृप्त मनोकामना पूरी करने का रास्ता है? आज दैनिक भास्कर में चेतन भगत का रोचक लेख है 'राजनीति की आइटम गर्ल है आप।' देखें आज की कुछ कतरनें
नई दुनिया
नवभारत टाइम्स
Tuesday, January 21, 2014
सड़क पर सरकार
आज के अखबारों पर दिल्ली की सड़कों पर उतरी केजरीवाल सरकार की आंदोलनकारी भूमिका छाई है। क्या यह अराजकता है? क्या यह नई राजनीति है? क्या यह आप को खत्म करने की योजना का हिस्सा है? और क्या इसके सहारे आप की जड़ें और मजबूत होंगी? क्या यह लोकसभा चुनाव की तैयारी है? साथ ही यह भी कि इसका अंत कहाँ है। महात्मा गाधी अराजकतावादी नेता माने जाते थे। अराजकतावाद एक राजनीतिक अवधारणा है, जिसके मूल में राज्यसत्ता का विरोध है। क्या आम आदमी पार्टी वैसी ही पार्टी है या ममता बनर्जी की राह पर चल पड़ी लोकलुभावन पार्टी है? इन प्रश्नों के जवाब हम सबको मिलकर देने हैं। आप विचार करें
केंद्र सरकार के अधीन आने वाली दिल्ली पुलिस के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने को लेकर धरने पर बैठे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मंगलवार को सभी प्रमुख अख़बारों में छाए रहे.
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इंडियन एक्सप्रेस
बीबीसी हिंदी वैबसाइट
मंगलवार, 21 जनवरी, 2014 को 08:07 IST तक के समाचार
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इंडियन एक्सप्रेस
अमर उजाला
Monday, January 20, 2014
चिदम्बरम के अनुसार 'आप' के बाबत फैसला गलत था
देश के अखबारों का ध्यान कल दिल्ली में मोदी की रैली या सुनंदा पुष्कर थरूर के निधन पर था। उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन चला रहे हैं। ऐस में इंडियन एक्सप्रेस ने पी चिदम्बरम का वक्तव्य प्रकाशित किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि आप को समर्थन देने का फैसला अनावश्यक था। चिदम्बरम के अनुसार हम जीते नहीं थे, हम ऐसी स्थिति में भी नहीं थे कि महत्वपूर्ण भूमिका निभाते। ऐसे में हमें खामोश रहना चाहिए थे। चिदम्बरम ने राष्ट्रीय संदर्भ में यह भी कहा कि हमारे बड़े नेताओं ने जनता को जानकारियाँ देने में उदासीनता बरती। आज की कुछ कतरनों पर नजर डालें
इंडियन एक्सप्रेस
Sunday, January 19, 2014
दिल्ली में आप की कांग्रेस से सीधी तकरार
आज सुबह के अखबार सुनंदा पुष्कर थरूर के निधन की खबरों से भरे पड़े थे। ऐसे विषयों को उछालने में मीडिया को मजा आता है। ऐसे में भाजपा कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद को वह कवरेज नहीं मिल पाई जो मिल सकती थी। वह कमी आज दिन में नरेंद्र मोदी के भाषण के बाद पूरी हो गई। शायद कल के अखबारों में भी यही खबर प्रभावी होगी। बहरहाल कुछ ध्यान खींचने वाली कतरनें इस प्रकार हैंः-
नवभारत टाइम्स
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