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Tuesday, January 21, 2014

सड़क पर सरकार

आज के अखबारों पर दिल्ली की सड़कों पर उतरी केजरीवाल सरकार की आंदोलनकारी भूमिका छाई है। क्या यह अराजकता है? क्या यह नई राजनीति है? क्या यह आप को खत्म करने की योजना का हिस्सा है? और क्या इसके सहारे आप की जड़ें और मजबूत होंगी? क्या यह लोकसभा चुनाव की तैयारी है? साथ ही यह भी कि इसका अंत कहाँ है। महात्मा गाधी अराजकतावादी नेता माने जाते थे। अराजकतावाद एक राजनीतिक अवधारणा है, जिसके मूल में राज्यसत्ता का विरोध है। क्या आम आदमी पार्टी वैसी ही पार्टी है या ममता बनर्जी की राह पर चल पड़ी लोकलुभावन पार्टी है? इन प्रश्नों के जवाब हम सबको मिलकर देने हैं। आप विचार करें

बीबीसी हिंदी वैबसाइट
 मंगलवार, 21 जनवरी, 2014 को 08:07 IST तक के समाचार
केंद्र सरकार के अधीन आने वाली दिल्ली पुलिस के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने को लेकर धरने पर बैठे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल मंगलवार को सभी प्रमुख अख़बारों में छाए रहे.
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इंडियन एक्सप्रेस

अमर उजाला


Monday, January 20, 2014

चिदम्बरम के अनुसार 'आप' के बाबत फैसला गलत था

देश के अखबारों का ध्यान कल दिल्ली में मोदी की रैली या सुनंदा पुष्कर थरूर के निधन पर था। उधर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन चला रहे हैं। ऐस में इंडियन एक्सप्रेस ने पी चिदम्बरम का वक्तव्य प्रकाशित किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि आप को समर्थन देने का फैसला अनावश्यक था। चिदम्बरम के अनुसार हम जीते नहीं थे, हम ऐसी स्थिति में भी नहीं थे कि महत्वपूर्ण भूमिका निभाते। ऐसे में हमें खामोश रहना चाहिए थे। चिदम्बरम ने राष्ट्रीय संदर्भ में यह भी कहा कि हमारे बड़े नेताओं ने जनता को जानकारियाँ देने में उदासीनता बरती। आज की कुछ कतरनों पर नजर डालें

इंडियन एक्सप्रेस

Sunday, January 19, 2014

दिल्ली में आप की कांग्रेस से सीधी तकरार

आज सुबह के अखबार सुनंदा पुष्कर थरूर के निधन की खबरों से भरे पड़े थे। ऐसे विषयों को उछालने में मीडिया को मजा आता है। ऐसे में भाजपा कार्यकारिणी और राष्ट्रीय परिषद को वह कवरेज नहीं मिल पाई जो मिल सकती थी। वह कमी आज दिन में नरेंद्र मोदी के भाषण के बाद पूरी हो गई। शायद कल के अखबारों में भी यही खबर प्रभावी होगी। बहरहाल कुछ ध्यान खींचने वाली कतरनें इस प्रकार हैंः-

नवभारत टाइम्स

Saturday, January 18, 2014

राहुलमय कांग्रेस और 'आप' का टूटता जादू

पिछले दो दिन के अखबार राहुल के प्रधानमंत्रित्व को समर्पित थे। सभी चैनलों पर बहस का मुद्दा भी यही था। बहरहाल कांग्रेस महासमिति की बैठक का निष्कर्ष यह निकला कि अब राहुल नए अवतार में हैं। उनकी बोली और अंदाज बदला है। पार्टी की इस बैठक में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हिंदी में बोले। अपने संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने हिंदी में पूछे गए सवालों के जवाब भी अंग्रेजी में दिए थे। इससे बड़ी बात यह है कि कांग्रेस अब अपनी आर्थिक नीति को लेकर जवाब देने की स्थिति में है। उसके प्रवक्ताओं को होमवर्क के साथ भेजा जा रहा है। राहुल ने मणिशंकर की तारीफ की तो उन्हें भी ताव आ गया और उन्होंने नरेंद्र मोदी को चायवाला बना दिया। रोचक बात यह कि जिस नरेंद्र मोदी के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे पर आगमन से लेकर सभा स्थल तक जाने का आँखों देखा हाल प्रसारित होता था, वे दो दिन से दिल्ली में पड़े थे उनकी कोई खबर नहीं। खबरें हैं 'आप' की दुर्दशा की। अब इस आशय की खबरें भी आने लगी हैं कि किस तरह से आप की टोपी पहने लोग सरकारी अफसरों को फटकार रहे हैं। दिल्ली में स्टिंग ऑपरेशन वाले उपकरणों की बिक्री हो रही है। पर उससे ज्यादा है मंत्री-पुलिस संवाद। लोकतंत्र अपने अगले पायदान पर आ गया है। 

दैनिक भास्कर 


Thursday, January 16, 2014

भास्कर ने अपने सिर ताज रखा

दैनिक भास्कर

दैनिक भास्कर के इंटरव्यू की ओर दुनिया भर का ध्यान गया। इसकी वजह इंटरव्यू नहीं था, बल्कि वह घोषणा थी जो राहुल गांधी ने की थी। पर यह शुद्ध रूप से पीआर एक्ससाइज थी। राहुल गांधी चाहते तो यह घोषणा किसी और माध्यम से हो सकती थी। हाँ यह सवाल जरूर मन में आता है कि राहुल को हिंदी मीडिया इस वक्त क्यों याद आया। आज की कतरनों में सबसे ज्यादा 'आप' के तबेले में लतिहाव से जुड़ी हैं। शशि थरूर और सुनंदा के तलाक की संभावनाओं से जुड़ी खबर भी रोचक है। 

Wednesday, January 15, 2014

कतरनें काफी कुछ कहती हैं-3

आज के इंडियन एक्सप्रेस में खबर है कि सीबीआई ने आरटीआई के तहत आंशिक छूट माँगी थी, पर पीएमओ की कृपा से पूरी छूट मिल गई।

Tuesday, January 14, 2014

कतरनें काफी कुछ कहती हैं-2

दैनिक भास्कर में आज राहुल गांधी का इंटरव्यू छपा है। अभी तक राहुल गांधी या कांग्रेस की मीडिया मंडली हंदी मीडिया की उपेक्षा करती थी। इस बार के चुनाव परिणामों ने उन्हें कुछ सोचने को मजबूर किया है। पर क्या वे हिंदी बोलने वालों के दिल और दिमाग को समझते हैं? जल्द सामने आएगा। इससे एक बात यह झलकती है कि राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित करने की घोषणा होने वाली है। अलबत्ता यह इंटरव्यू पीआर एक्सरसाइज जैसा लगता  है। इंटरव्यूअर की भूमिका क्रॉस क्वेश्चन की होती है जो इसमें दिखाई नहीं पड़ती।