Tuesday, April 29, 2014

गूगल डूडल में उस्ताद अल्ला रक्खा खां

Ustad Alla Rakha's 95th Birthday

आज आपने उस्ताद अल्ला रक्खा खां के 95वें जन्मदिन पर गूगल डूडल देखा होगा। भारत कोश के अनुसार उनका जीवन वृत्त इस प्रकार है

अल्ला रक्खा ख़ाँ (अंग्रेज़ी:Alla Rakha Khan) (जन्म- 29 अप्रैल1919; मृत्यु- 3 फ़रवरी2000) सुविख्यात तबला वादकभारत के सर्वश्रेष्ठ एकल और संगीतवादकों में से एक थे। इनका पूरा नाम पूरा नाम क़ुरैशी अल्ला रक्खा ख़ाँ है। अल्ला रक्खा ख़ाँ अपने को पंजाब घराने का मानते थे। अल्ला रक्खा ख़ाँ के पुत्र का नाम ज़ाकिर हुसैन है जो स्वयं प्रसिद्ध तबला वादक हैं।

Sunday, April 27, 2014

इस जहरीली भाषा का संरक्षक कौन है?

मीडिया की सजगता या अतिशय सनसनी फैलाने के इरादों के कारण पिछले एक महीने से जहर-बुझे बयानों की झड़ी लग गयी है. हेट स्पीच का आशय है किसी सम्प्रदाय, जाति, भाषा वगैरह के प्रति दुर्भावना प्रकट करना. चूंकि यह चुनाव का समय है, इसलिए हमारा ध्यान राजनीतिक बयानों पर केंद्रित है, पर गौर से देखें तो हमें अपने सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन में अभद्र और नफरत भरे विचार प्रचुर मात्रा में मिलेंगे. अक्सर लोग इसे अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता मानते हैं. पर जब यह सुरुचि और स्वतंत्रता का दायरा पार कर जाती है, तब उसे रोकने की जरूरत होती है. राजनीति के अलावा यह भाषा और विचार-विनिमय का मसला भी है.

कांग्रेस की रणनीति और क्षेत्रीय क्षत्रपों के अंतर्विरोध

अब जब 196 सीटों पर मतदान बाकी रह गया है। अटकलों का बाज़ार सरगर्म है। देश की राजनीति फिलहाल सीधे-सीधे दो ध्रुवों पर कर खड़ी है। एक है मोदी लाओ और दूसरा है मोदी से बचाओ। पूरी राजनीति नकारात्मक या सकारात्मक रूप से मोदी केंद्रित है। इन दोनों ध्रुवों के इर्द-गिर्द कुछ और राजनीतिक शक्तियाँ हैं। ये हैं क्षेत्रीय दल। पिछले दो-तीन साल से कहा जा रहा है कि देश में क्षेत्रीय दलों का दौर है और 2014 में केंद्र की सरकार बनाने में इनकी सबसे बड़ी भूमिका होगी। कहना मुश्किल है कि मोदी लहर है या नहीं। पर इतना साफ है कि क्षेत्रीय क्षत्रप भी मुश्किल में हैं। बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को छोड़ दें तो किसी भी क्षेत्रीय दल के बारे में दावे के साथ कुछ नहीं कहा जा सकता। दो साल पहले तीन पार्टियों को अपनी स्थिति बेहतर लगती थी। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों में मिली सफलता से अभिभूत समाजवादी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने घोषणा कर दी थी कि लोकसभा चुनाव समय से पहले होंगे और 2014 में तीसरे मोर्चे की सरकार बनेगी। लगभग ऐसा ही अनुमान तमिलनाडु में जयललिता और बंगाल में ममता बनर्जी का था। अब हम इस चुनाव में तीसरे मोर्चे की ओर देखें तो वह खुद असमंजस में नजर आता है।