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Tuesday, October 10, 2023

खेल की दुनिया में बड़ा कदम



हैंगजाऊ एशियाई खेलों में भारत की सफलता को दो तरह से देखना चाहिए। कई प्रकार के रिकॉर्ड तोड़ते हुए भारतीय खिलाड़ियों ने खेल की दुनिया में पहला बड़ा कदम रखा है। उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि है पदक तालिका में सौ की मानसिक सीमा-रेखा को पार करना। यह उपलब्धि देश के आकार को देखते हुए पर्याप्त नहीं है, पर पिछले प्रदर्शनों से इसकी तुलना करें, तो बहुत बड़ी है। यह भारत के विकसित होते बदलते सामाजिक-आर्थिक स्तर को भी रेखांकित कर रही है। उम्मीद है कि अगले साल पेरिस में होने वाले ओलिंपिक खेलों में भारतीय खिलाड़ी सफलता के एक और चरण को पार करेंगे।

कुछ खेल ऐसे भी हैं, जिनमें इस एशियाड में मनोनुकूल सफलता नहीं मिली। इनमें कुश्ती और भारोत्तोलन शामिल हैं। कॉमनवैल्थ खेलों में हमने इन्हीं खेलों में बड़ी सफलता हासिल की थी। इसकी एक वजह यह भी है कि एशिया खेलों में कंपटीशन ज्यादा मुश्किल है। दूसरी तरफ हमारे खिलाड़ी घुड़सवारी, ब्रिज, गोल्फ, शतरंज, वुशु और सेपक टकरा जैसे खेलों में भी मेडल जीतकर लाए हैं। फिर भी कम से कम दो खेल ऐसे हैं, जिनमें हमें विश्व स्तर को छूना है। एक है जलाशय से जुड़े खेल यानी एक्वैटिक्स और दूसरे जिम्नास्टिक्स। इन दोनों खेलों में मेडलों की भरमार होती है।

Monday, November 29, 2010

एशियाड में भारतीय लड़कियाँ

एशियाई खेलों में भारतीय टीम का प्रदर्शन बेहतर हुआ है। हमारी पोजीशन छठे नम्बर पर रही। असली सफलता एथलेटिक्स में मिली। इसमें चीन के बाद हमारा दूसरा स्थान रहा। भारतीय टीम ने कुल 11 मेडल जीते इनमें 10 लड़कियों ने हासिल किए। एथलेटिक्स में भारत के पाँच में से चार गोल्ड मेडल लड़कियों के नाम हैं।