भारत के कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम को लेकर कई तरह के भ्रम कुछ समय से हवा में हैं। नीति आयोग में सदस्य (स्वास्थ्य) और कोविड-19 (एनईजीवीएसी) के लिए वैक्सीन प्रबंधन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष डॉ विनोद पॉल ने इन भ्रमों को लेकर स्पष्टीकरण जारी किया है। उन्होंने कहा है कि जो गलतफहमियाँ हैं, उनकी वास्तविकता इस प्रकार है:-
1: विदेशों से टीके खरीदने के लिए केंद्र पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है
तथ्य: केंद्र सरकार 2020 के मध्य से ही सभी प्रमुख
अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन निर्माताओं के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए है। फायज़र,
जेएंडजे और मॉडर्ना के साथ कई दौर का
वार्तालाप हो चुका है। सरकार ने उन्हें भारत में उनके टीकों की आपूर्ति और/अथवा
इन्हें बनाने के लिए सभी प्रकार की सहायता की पेशकश की है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि उनके टीके निःशुल्क रूप
से आपूर्ति के लिए उपलब्ध हैं। हमें यह समझने की जरूरत है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर
पर टीके खरीदना 'ऑफ
द शैल्फ' वस्तु खरीदने के समान
नहीं है। विश्व स्तर पर टीके सीमित आपूर्ति में हैं, और सीमित स्टॉक को आवंटित करने में
कंपनियों की अपनी प्राथमिकताएं, योजनाएं
और मजबूरियां हैं। वे अपने मूल देशों को भी प्राथमिकता देती हैं जैसे हमारे अपने
वैक्सीन निर्माताओं ने हमारे लिए बिना किसी संकोच के किया है। फायज़र ने जैसे ही
वैक्सीन की उपलब्धता का संकेत दिया, इसके बाद से ही केंद्र सरकार और कंपनी वैक्सीन के जल्द से जल्द
आयात के लिए मिलकर कार्य कर रही हैं। भारत सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप,
स्पूतनिक वैक्सीन परीक्षणों में तेजी आई
और समय पर अनुमोदन के साथ, रूस
ने हमारी कंपनियों को टीके की दो किस्तें भेजते हुए निपुण तकनीक-हस्तांतरण पहले ही
कर दी हैं और अब बहुत जल्द ही ये कंपनियां इसका निर्माण भी शुरू कर देंगी। हम सभी
अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन निर्माताओं से भारत में आने और भारत और दुनिया के लिए
वैक्सीन बनाने के अपने अनुरोध को दोहराते हैं।
2: विश्व स्तर पर उपलब्ध टीकों को केंद्र ने मंजूरी नहीं दी है