सत्तारूढ़ भाजपा और द्रमुक के बीच चल रहे वाग्युद्ध के कारण सोमवार को लोकसभा में व्यवधान पैदा हुआ और तमिलनाडु के सांसदों के विरोध के बाद केंद्रीय शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान को अपने बयान से एक शब्द वापस लेना पड़ा। प्रश्नकाल में बहस के दौरान प्रधान ने तमिलनाडु की डीएमके सरकार पर ‘बेईमान’ होने और राज्य के छात्रों के भविष्य के साथ ‘राजनीति’ करने का आरोप लगाया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के प्रति डीएमके सरकार के विरोध की आलोचना करते हुए उन्होंने पीएम-श्री स्कूलों को लेकर ‘यू-टर्न’ लेने का भी आरोप लगाया, जिसके कारण तकरार बढ़ी। लगता है कि यह तकरार अभी बढ़ेगी और ‘भाषा’ और खासतौर से ‘उत्तर-दक्षिण’ के सवालों पर केंद्रित होगी, जो 2026 में तमिलनाडु विधानसभा चुनाव में बड़े मसले बनकर उभरेंगे।
संसदीय झड़प के तुरंत बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सोशल मीडिया पर पोस्ट जारी कर प्रधान पर ‘अहंकार’ का आरोप लगाया। स्टालिन ने लिखा, ‘केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, जो अहंकार से ऐसे बात करते हैं जैसे कि वे राजा हों, उन्हें अपने शब्दों पर ध्यान देने की ज़रूरत है!...’आप तमिलनाडु के उचित फंड को रोक रहे हैं और हमें धोखा दे रहे हैं, फिर भी आप तमिलनाडु के सांसदों को असभ्य कहते हैं?... क्या माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे मंज़ूरी देते हैं?’ स्टालिन ने लिखा कि तमिलनाडु सरकार ने कभी पीएम-श्री (स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया) योजना को लागू करने पर सहमति नहीं जताई।