देश-परदेस
भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में पहले से जारी
बदमज़गी में सिंधुजल विवाद के कारण कुछ कड़वाहट और घुल गई है. भारत ने पाकिस्तान
को नोटिस दिया है कि हमें सिंधुजल संधि में बदलाव करना चाहिए, ताकि विवाद ज्यादा न
बढ़ने पाए. इस नोटिस में 90 दिन का समय दिया गया है.
इस मसले ने पानी के सदुपयोग से ज्यादा राजनीतिक-पेशबंदी
की शक्ल अख्तियार कर ली है. पाकिस्तान इस बात का शोर मचा रहा है कि भारत हमारे ऊपर
पानी के हथियार का इस्तेमाल कर रहा है, जबकि भारत में माना जा रहा है कि हमने
पाकिस्तान को बहुत ज्यादा रियायतें और छूट दे रखी हैं, उन्हें खत्म करना चाहिए.
भारतीय संसद की एक कमेटी ने 2021 में सुझाव
दिया था कि इस संधि की व्यवस्थाओं पर फिर से विचार करने और तदनुरूप संशोधन करने की
जरूरत है. उससे पहले जम्मू-कश्मीर विधानसभा भी इस आशय के प्रस्ताव पास कर चुकी थी.
कुल मिलाकर पाकिस्तान को उसकी आतंकी गतिविधियों का सबक सिखाने की माँग लगातार की
जा रही है.
आर्बिट्रेशन का सहारा
पाकिस्तान की फौरी प्रतिक्रिया से लगता नहीं कि
वह संधि में संशोधन की सलाह को मानेगा. वह विश्वबैंक द्वारा नियुक्त
पंचाट-प्रक्रिया के सहारे इन समस्याओं का समाधान करना चाहता है. यह प्रक्रिया
शुक्रवार 27 जनवरी को शुरू हो गई है. उसके शुरू होने के दो दिन पहले भारत ने यह
नोटिस दिया है.
भारत को शिकायत है कि पाकिस्तान ने संधि के
अंतर्गत विवादों के निपटारे के लिए दोनों सरकारों के बीच बनी व्यवस्था की अनदेखी
कर दी है. भारत का यह भी कहना है कि विवादों के निपटारे के लिए संधि के अनुच्छेद 9 में जो चरणबद्ध व्यवस्था की गई थी, उसे भी तोड़ दिया गया है.
खास बात यह भी है कि भारत के जिन बाँधों को लेकर विवाद खड़ा हुआ है, वे इस दौरान ही बने हैं और अब काम कर रहे हैं. यानी पानी अब पूरी तरह बहकर पाकिस्तान जा रहा है. किशनगंगा बाँध झेलम पर और रतले बाँध चेनाब नदी पर बना है. झेलम की सहायक नदी है किशनगंगा, जिसका नाम पाकिस्तान में नीलम है.