Showing posts with label ईडी. Show all posts
Showing posts with label ईडी. Show all posts

Monday, July 3, 2023

राजनीति बनाम सीबीआई यानी ‘डबल-धार’ की तलवार

महाराष्ट्र में एनसीपी की बगावत के पीछे एक बड़ा कारण यह बताया जाता है कि उसके कुछ नेता ईडी की जाँच के दायरे में हैं और उससे बचने के लिए वे बीजेपी की शरण में आए हैं। यह बात आंशिक रूप से ही सही होगी, कारण दूसरे भी होंगे, पर इस बात को छिपाना मुश्किल है कि बड़ी संख्या में राजनीतिक नेताओं पर गैर-कानूनी तरीके से कमाई के आरोप हैं। यह बात राजनीतिक-प्रक्रिया को प्रभावित करती है। तमिलनाडु में बिजली मंत्री वी सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी के बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई की भूमिका को लेकर बहस एकबार फिर से शुरू हुई है। दूसरी तरफ तमिलनाडु सरकार ने राज्य में सीबीआई को मिली सामान्य अनुमति (जनरल कंसेंट) वापस लेकर जवाबी कार्रवाई भी की है। साथ ही  तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा, हम हर तरह की राजनीति करने में समर्थ हैं। यह कोरी धमकी नहीं, चेतावनी है। डीएमके के आदमी को गलत तरीके से परेशान मत करो। हम जवाबी कार्रवाई करेंगे, तो आप बर्दाश्त नहीं कर पाओगे। 

स्टालिन की इस चेतावनी में राजनीति के कुछ सूत्र छिपे हैं। सरकारी संस्थाएं और व्यवस्थाएं कुछ उद्देश्यों और लक्ष्यों को लेकर बनी हैं। उनके सदुपयोग और दुरुपयोग पर पूरी व्यवस्था निर्भर करती है। स्टालिन की बात के जवाब में बीजेपी का कहना है कि हम भ्रष्टाचारियों का पर्दाफाश करेंगे। यह उसका राजनीतिक नारा है, रणनीति और राजनीति भी। उसके पास आयकर विभाग, सीबीआई और ईडी तीन एजेंसियाँ हैं, जो उस नश्तर की तरह हैं, जो इलाज करता है और कत्ल भी। उच्चतम न्यायालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को मिले अधिकार को उचित ठहराकर सरकार के हाथ और मजबूत कर दिए हैं। आर्थिक अपराधों की बारीकियों को समझना आसान नहीं है। आम आदमी पार्टी जिन नेताओं को कट्टरपंथी ईमानदार बताती है, उनका महीनों से कैद में रहना इसीलिए आम आदमी को समझ में नहीं आता। क्या वास्तव में किसी ईमानदार व्यक्ति को इस तरह से सताने की इजाजत हमारी व्यवस्था देती है?  

द्रमुक के नेता और बिजली मंत्री बालाजी को ‘नौकरी के बदले नकदी’ घोटाले से जुड़े धन-शोधन के एक मामले में 14 जून को ईडी ने गिरफ्तार किया। वे वर्तमान डीएमके सरकार के पहले मंत्री हैं, जिन्हें गिरफ्तार किया गया है। हालांकि मुख्यमंत्री इसे बदले की कार्रवाई बता रहे हैं, पर ईडी का कहना है कि उसके पास मंत्री के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। गिरफ्तारी के बावजूद मुख्यमंत्री ने उन्हें मंत्रिपद पर बरकरार रखा है। स्टालिन का कहना है कि बीजेपी अपने उन विरोधियों को डराने के लिए आयकर विभाग, सीबीआई और ईडी जैसी जांच-एजेंसियों का इस्तेमाल करती है, जिनका वह राजनीतिक मुकाबला नहीं कर सकती। स्टालिन के अनुसार ईडी ने बीजेपी के सरकार में आने से पहले 10 साल में 112 छापे मारे थे, जबकि 2014 में बीजेपी के केंद्र में आने के बाद लगभग 3000 छापे मारे गए हैं।