नल से जल
अपने दो कमरों
वाले घर से महज कुछ ही गज़ की दूरी पर स्थित अपने छोटे से खेत में काम कर रही
हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के बल्लही गांव की निवासी एकदम खुश है. अब से पहले
करीब दो दशक तक फूलकली अपने परिवार की रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए नजदीकी
सप्लाई पॉइंट से बाल्टियां भरकर पानी लाती थी, जो कि उसके घर से 400 मीटर दूरी पर है.
भले ही यह दूरी
बहुत ज्यादा न रही हो लेकिन दो बच्चों की मां फूलकली कहती है कि केंद्र के
फ्लैगशिप कार्यक्रम ‘नल से जल ’ के तहत प्रशासन द्वारा उसके घर तक जलापूर्ति
उपलब्ध कराए जाने से तीन महीने के अंदर उसके जीवन में कितना बदलाव आ गया है इस बात
को केवल वही समझ सकता है जो पिछले दो दशकों से लगातार हर दिन दो बार पानी की
बाल्टियां भरकर ला रहा हो.
फूलकली ने
दिप्रिंट से कहा,
‘बाल्टी छूट गई.
आप नहीं जानते कि यह कितनी बड़ी नियामत है. हर एक दिन, चाहे बारिश हो या फिर सर्दी मुझे पानी लाने के
लिए बाहर जाना ही पड़ता था.’
द
प्रिंट में पढ़ें पूरा आलेख
उपरोक्त प्रकरण मैंने सिर्फ इसलिए उधृत किया है, ताकि मैं बता सकूँ कि महिला सशक्तीकरण कैसे होता है। भारत सरकार की पत्रिका कुरुक्षेत्र में लिखने का आनंद यह है कि इसे बहुत ज्यादा लोग पढ़ते हैं। सरकारी सेवाओं की तैयारी करने वाले युवा इसे और योजना को पढ़ते हैं। मेरा यह लेख कुरुक्षेत्र के फरवरी 2021 के अंक में प्रकाशित हुआ है।
भारत को
आत्मनिर्भर बनाने में स्त्रियों की महत्वपूर्ण भूमिका है। स्त्री-शक्ति के कारगर
इस्तेमाल से देश की आर्थिक संवृद्धि को तेजी से बढ़ाया जा सकता है। महिलाओं को सशक्त बनाने का अर्थ है समूचे समाज
को समर्थ बनाना। भारत में स्त्री-सशक्तीकरण के चार प्रमुख आधार हैं। 1.शिक्षा,
2.स्वास्थ्य, 3.रोजगार और 4.सामाजिक परिस्थितियाँ। पहली तीन बातों के लिए सरकारी
कार्यक्रम मददगार हो सकते हैं, पर चौथा आधार सामाजिक-सांस्कृतिक परिस्थितियों पर
निर्भर करता है। अलबत्ता सामाजिक परिवर्तनों पर भी शिक्षा और आधुनिक संस्कृति में
आ रहे परिवर्तनों, खासतौर से बदलती तकनीक की भी, भूमिका होती है।
हाल में जब नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे (एनएफएचएस) के पाँचवें दौर के परिणाम
प्रकाशित हुए, तब एक नई तरह की जानकारी की ओर हमारा ध्यान गया। इस सर्वेक्षण में पहली
बार यह पूछा गया था कि क्या आपने कभी इंटरनेट का इस्तेमाल किया है? बिहार में ऐसी महिलाओं का प्रतिशत सबसे कम था, जिनकी
इंटरनेट तक पहुंच है (20.6%) और सिक्किम में सबसे ज्यादा (76.7%)। एनएफएचएस के ये आंकड़े अधूरे हैं, क्योंकि इनमें केवल 22 राज्यों के परिणाम हैं। उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे
बड़े राज्यों के परिणाम इसमें शामिल नहीं हैं, फिर भी जो विवरण सामने आए हैं, वे
बताते हैं कि स्त्रियों के सशक्तीकरण के संदर्भ में हमें परंपरागत बातों के अलावा
कुछ नई बातों की तरफ भी ध्यान देना होगा। मसलन इंटरनेट की भूमिका।