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Friday, March 24, 2023

पानी पर कब्जे की लड़ाई या सहयोग?


जनवरी के महीने में जब भारत ने पाकिस्तान को सिंधु जलसंधि पर संशोधन का सुझाव देते हुए एक नोटिस दिया था, तभी स्पष्ट हो गया था कि यह एक नए राजनीतिक टकराव का प्रस्थान-बिंदु है. सिंधु जलसंधि दुनिया के सबसे उदार जल-समझौतों में से एक है. भारत ने सिंधु नदी से संबद्ध छह नदियों के पानी का पाकिस्तान को उदारता के साथ इस्तेमाल करने का मौका दिया है. अब जब भारत ने इस संधि के तहत अपने हिस्से के पानी के इस्तेमाल का फैसला किया, तो पाकिस्तान ने आपत्ति दर्ज करा दी.

माना जाता है कि कभी तीसरा विश्वयुद्ध हुआ, तो पानी को लेकर होगा. जीवन की उत्पत्ति जल में हुई है. पानी के बिना जीवन संभव नहीं, इसीलिए कहते हैं ‘जल ही जीवन है.’ जल दिवस 22 मार्च को मनाया जाता है. इसके पहले 14 मार्च को दुनिया में एक्शन फॉर रिवर्स दिवस मनाया गया है. नदियाँ पेयजल उपलब्ध कराती हैं, खेती में सहायक हैं और ऊर्जा भी प्रदान करती हैं.

इन दिवसों का उद्देश्य विश्व के सभी देशों में स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित कराना है. साथ ही जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करना है. दुनिया यदि चाहती है कि 2030 तक हर किसी तक स्वच्छ पेयजल और साफ़-सफ़ाई की पहुँच सुनिश्चित हो, जिसके लिए एसडीजी-6 लक्ष्य को प्राप्त करना है, तो हमें चार गुना तेज़ी से काम करना होगा.

चीन का नियंत्रण

हाल के वर्षों में चीन का एक बड़ी आर्थिक-सामरिक शक्ति के रूप में उदय हुआ है. जल संसाधनों की दृष्टि से भी वह महत्वपूर्ण शक्ति है. दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में बहने वाली सात महत्वपूर्ण नदियों पर चीन का प्रत्यक्ष या परोक्ष नियंत्रण है. ये नदियाँ हैं सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र, इरावदी, सलवीन, यांगत्जी और मीकांग. ये नदियां भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, लाओस और वियतनाम से होकर गुजरती हैं.

पिछले साल, पाकिस्तान और नाइजीरिया में आई बाढ़, या अमेजन और ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगी आग से पता लगता है कि पानी का संकट हमारे जीवन को पूरी तरह उलट देगा. हमारे स्वास्थ्य, हमारी सुरक्षा, हमारे भोजन और हमारे पर्यावरण को ख़तरे में डाल देगा.

Sunday, March 20, 2016

पंजाब में पानी की खतरनाक राजनीति

सतलुज-यमुना लिंक नहर के विवाद में पानी सिर के ऊपर जाए इससे पहले ही केंद्र सरकार को अब अपनी भूमिका निभानी चाहिए। पंजाब विधानसभा ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना करते हुए यह कहते हुए नहर के निर्माण के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है कि उसके पास हरियाणा को देने के लिए पानी नहीं है। पंजाब विधानसभा के चुनाव करीब होने के कारण इसे पंजाब का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है, पर यह बात राष्ट्रीय एकता के खिलाफ है और इसके दूरगामी दुष्परिणाम होंगे।

पंजाब के तकरीबन सभी राजनीतिक दल इस मामले को चुनाव के नजरिए से देख रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल ने कांग्रेस से यह मुद्दा छीन लिया है। अकाली दल विधानसभा में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास कराने में कामयाब हुआ है। उसका सहयोगी दल होने के नाते भारतीय जनता पार्टी ने भी उसका साथ दिया है। पर हरियाणा में भी उसकी सरकार है। उधर आम आदमी पार्टी भी इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश में है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जल्दबाजी में इस विवाद का रुख हरियाणा-दिल्ली के विवाद के रूप में मोड़ दिया था। अलबत्ता उन्होंने फौरन ही अपने रुख को बदला।