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Friday, March 1, 2024

केरल में ‘इंडिया’ बनाम ‘इंडिया’, वायनाड में असमंजस

 


2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश के अमेठी लोकसभा क्षेत्र के अलावा केरल के वायनाड क्षेत्र से भी चुनाव लड़ा था। अमेठी में वे स्मृति ईरानी से मुकाबले में हार गए थे, पर वायनाड में वे जीत गए। इसबार वायनाड की सीट पर राहुल गांधी के सामने कम्युनिस्ट पार्टी ने एनी राजा को प्रत्याशी बनाया है, जो सीपीआई की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य हैं। एनी पार्टी के महासचिव डी राजा की पत्नी हैं। उनकी इस इलाके में अच्छी खासी प्रतिष्ठा है। राहुल गांधी के लिए इस मुकाबले को जीतना आसान नहीं होगा। सवाल है कि कम्युनिस्ट पार्टी ने ऐसा क्यों किया, जबकि वह इंडिया गठबंधन में शामिल है?

इसके पहले कांग्रेस की ओर से कहा जा चुका है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ राज्य की 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगा, जिनमें से 16 पर कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे। वामपंथी दल इंडिया गठबंधन में शामिल जरूर हैं, पर उनके सामने सबसे बड़ा अस्तित्व का संकट है। वे बंगाल से बाहर हो चुके हैं और 2019 के चुनाव में लोकसभा से भी तकरीबन बाहर हो गए। वाममोर्चा के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) ने 2019 में राज्य की सभी 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। इनमें  माकपा के 14 और भाकपा के 4 प्रत्याशी थे। दो सीटों पर लेफ़्ट समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार खड़े किए गए थे।

Sunday, December 10, 2023

सेमीफाइनल बीजेपी के नाम


बीजेपी की जीत के बाद दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, मैं लगातार कहता रहा हूं कि मेरे लिए देश में चार जातियां ही सबसे बड़ी जातियां हैं। मैं जब इन जातियों की बात करता हूं, तो इसमें स्त्रियाँ, युवा, किसान और गरीब परिवार हैं। इन चार जातियों को सशक्त करने से ही देश सशक्त होने वाला है। उन्होंने यह भी कहा कि कई लोग कह रहे हैं कि इस हैट्रिक ने लोकसभा चुनाव की हैट्रिक की गारंटी दे दी है।

तीन हिंदी भाषी राज्यों में जीत के बाद लगता है कि बीजेपी अब लोकसभा चुनाव की रणनीतियों पर काम करेगी। 2018 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी इन तीनों हिंदी भाषी राज्यों में हार गई थी, पर 2019 के लोकसभा चुनावों में इन्हीं राज्यों से पार्टी को जबर्दस्त सफलता मिली। इस लिहाज से वह पहले की तुलना में बेहतर स्थिति में है, पर उसके सामने इसबार इंडी या इंडिया गठबंधन होगा। सच यह भी है कि इंड गठबंधन खुद अंतर्विरोधों का शिकार है। बीजेपी की सफलता के पीछे अनेक कारण हैं। मजबूत नेतृत्व, संगठन-क्षमता, संसाधन, सांस्कृतिक-आधार और कल्याणकारी योजनाएं वगैरह-वगैरह। इनमें शुक्रिया मोदीजी को भी जोड़ लीजिए।

माना जाता है कि राज्यों के चुनावों में स्थानीय नेतृत्व की प्रतिष्ठा और राज्य से जुड़े दूसरे मसले भी होते हैं, पर लोकसभा चुनाव में मोदी का जादू काम करता है। बहरहाल इसबार के विधानसभा चुनावों में भी मोदी की गारंटी ने काम किया है। मध्य प्रदेश में लोकसभा की 29, राजस्थान में 25, छत्तीसगढ़ में 11, तेलंगाना में 17 और मिज़ोरम में एक सीट है। इन सीटों को जोड़ दिया जाए तो इनका योग 83 हो जाता है। इन परिणामों के निहितार्थ और 2024 के चुनावों पर पड़ने वाले असर के लिहाज से देखने के लिए यह समझना जरूरी है कि बीजेपी की इस असाधारण सफलता के पीछे के कारण क्या हैं।

Friday, October 13, 2023

गठबंधन ‘इंडिया’ की विसंगतियाँ


गठबंधन ‘इंडिया’ ने मुंबई में हुई बैठक के दौरान तीन प्रस्ताव पास किए थे। पहला, सीट बँटवारे की प्रक्रिया जल्द ही पूरी की जाएगी, दूसरा, ‘इंडिया’ के घटक दल जनता के मुद्दों पर देश के अलग-अलग हिस्सों में जनसभाएं करेंगे और तीसरा, इंडिया के सभी घटक दलों का अपना चुनाव अभियान जुड़ेगा भार औरजीतेगा इंडिया की थीम पर होगा। इनमें पहला काम सबसे बड़ा और जरूरी होगा। शेष दो काम किसी न किसी रूप में चल जाएंगे, पर सीटों का बँटवारा सबसे जटिल विषय है। ऐसा लग रहा है कि फ़िलहाल गठबंधन उसे आगे के लिए टाल रहा है।

चार राज्यों में फज़ीहत

पश्चिम बंगाल, दिल्ली, पंजाब और केरल कम से कम चार ऐसे राज्य हैं, जो साफ-साफ इस गठबंधन की किसी भी समय फज़ीहत कर सकते हैं। हाल में तमिलनाडु में मुख्यमंत्री स्टालिन के बेटे ने सनातन धर्म के बारे में टिप्पणी करके कांग्रेस पार्टी के लिए मुश्किलें पैदा कर दी हैं। इसी वजह से गठबंधन की भोपाल में होने वाली बैठक रद्द कर दी गई। इसका असर मध्य प्रदेश के चुनाव पर पड़ सकता है।

शुरू में लगता था कि नीतीश कुमार इस गठबंधन के समन्वय का काम करेंगे, पर ऐसा हुआ नहीं। हालांकि उन्होंने अभी तक प्रत्यक्षतः कुछ ऐसा नहीं किया है, जिससे साबित हो कि वे नाराज हैं, पर गठबंधन ने जब टीवी के 14 एंकरों के बहिष्कार की घोषणा की, तो उन्होंने इस बात से अपनी असहमति व्यक्त कर दी। उधर सीपीएम ने गठबंधन की समन्वय समिति में शामिल नहीं होने की घोषणा करके एक और असमंजस पैदा कर दिया है।

Saturday, September 2, 2023

गठबंधन ‘इंडिया’ का सबसे बड़ा काम शुरू होगा अब


भारत के 28 विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ ने शुक्रवार को मुंबई में आयोजित बैठक के दौरान आगामी लोकसभा चुनाव से जुड़े कई मुद्दों पर चर्चा करने के बाद तीन प्रस्ताव पास किए। पहला, सीट बँटवारे की प्रक्रिया जल्द ही पूरी की जाएगी, दूसरा, इंडिया के घटक दल जनता के मुद्दों पर देश के अलग-अलग हिस्सों में जनसभाएं करेंगे और तीसरा, इंडिया के सभी घटक दलों का अपना चुनाव अभियान जुड़ेगा भार औरजीतेगा इंडिया की थीम पर होगा। इनमें पहला काम सबसे बड़ा और जरूरी होगा। शेष दो काम किसी न किसी रूप में चल ही रहे हैं।

इस बैठक में चार समितियां बनाने का फ़ैसला किया गया है। ‘इंडिया गठबंधन’ की कोऑर्डिनेशन समिति में 1.केसी वेणु गोपाल, 2.शरद पवार, 3.टीआर बालू, 4.संजय राउत, 5.डी राजा, 6.तेजस्वी यादव, 7.अभिषेक बनर्जी, 8.राघव चड्ढा, 9.जावेद अली ख़ान, 10.ललन सिंह, 11.हेमंत सोरेन, 12.महबूबा मुफ्ती और 13.उमर अब्दुल्ला को जगह दी गई है। सीपीएम अपने प्रतिनिधि का नाम बाद में देगी। इस कमेटी के अलावा चार और कमेटियाँ बनेंगी कैम्पेन कमेटी, मीडिया, सोशल मीडिया और रिसर्च। किसी एक कोऑर्डिनेटर की नियुक्ति फिर भी नहीं हुई है। ऐसा करने के शायद जोखिम हैं।

गठबंधन ने पहले कहा था कि एक लोगो भी जारी किया जाएगा, पर ऐसा किया नहीं गया। तृणमूल कांग्रेस ने एक लोगो का सुझाव दिया था, पर कुछ दलों ने इस प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया। इस बैठक में दिग्विजय सिंह ईवीएम को लेकर एक प्रेज़ेंटेशन रखने वाले थे, पर उसे रोक दिया गया। कुछ लोगों ने कहा कि नकारात्मक बातें इस समय करना उचित नहीं होगा। हाल में कांग्रेस की कर्नाटक में भारी जीत हुई है, ईवीएम के बावजूद।

Tuesday, August 29, 2023

गठबंधन ‘इंडिया’ की मुंबई बैठक के मुद्दे


हाल में बने नए राजनीतिक गठबंधन इंडिया (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव एलायंस) की इस हफ्ते मुंबई में होने वाली तीसरी बैठक एक तरफ इसके राजनीतिक विचार को स्पष्ट करने और संगठनात्मक आधार को मजबूत करने का काम करेगी, वहीं इसके अंतर्विरोध भी खुलेंगे। 31 अगस्त और 1 सितंबर को दो दिन चलने वाली इस महाबैठक में गठबंधन के लोगो को लॉन्च करने की योजना भी है। गठबंधन के नाम के बाद इस गतिविधि का महत्व प्रचारात्मक ज्यादा है। ज्यादा बड़ा काम अभी तक नेपथ्य में ही है। वह है उस गणित की रूपरेखा, जिसपर यह गठबंधन खड़ा होने वाला है।

दो महत्वपूर्ण सवालों के जवाब भी इस बैठक में मिलेंगे। क्या यह गठबंधन राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनावों में एक होकर उतरेगा या यह गठबंधन केवल लोकसभा चुनाव के लिए बन रहा है? दूसरे चुनाव में अलग-अलग चुनाव-चिह्नों के साथ इसकी एकरूपता किस प्रकार से व्यक्त होगी? कुछ पहेलियाँ और हैं। मसलन कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के रिश्ते। क्या आम आदमी पार्टी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में उतरेगी? अकेले या कांग्रेस के सहयोगी दल के रूप में? क्या लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी गुजरात में उसे सीटें देगी? ऐसे ही सवाल बंगाल की राजनीति को लेकर हैं। महाराष्ट्र में एनसीपी खुद पहेली बनी हुई है।