पाकिस्तान की एक अदालत ने मुंबई हमले के सरगना और जमात-उद-दावा के मुखिया हाफिज सईद को आतंकवाद के दो और मामलों में 10 साल जेल की सजा सुनाई है। दोनों मामले आतंकवाद के लिए पैसे जुटाने से जुड़े हुए हैं। यह खबर जितने जोरदार तरीके से भारतीय मीडिया में प्रकाशित की जा रही है, उतने जोरदार तरीके से पाकिस्तानी मीडिया में नहीं है। पाकिस्तान के डॉन और ट्रिब्यून जैसे अखबारों की वैबसाइट पर यह खबर इन पंक्तियों के लिखे जाते समय यानी शाम 6.00 बजे के आसपास आई भी नहीं थी।
सोशल मीडिया पर भारत के लोगों की पहली प्रतिक्रिया यह है कि यह भी किसी किस्म की नौटंकी है। शायद फरवरी में होने वाली एफएटीएफ बैठक की पेशबंदी है। सच यह है कि पाकिस्तान सरकार ने पिछले साल संरा सुरक्षा परिषद से अनुरोध करके हाफिज सईद की पेंशन बँधवाई थी। हाफिज सईद को सजा दी गई है इसका मतलब साफ है कि यह किसी बात की पेशबंदी है। वह तो पाकिस्तानी सेना से जुड़ा व्यक्ति है और उसे देश का हीरो माना जाता है। बीबीसी के एक विश्लेषण के अनुसार विशेषज्ञों का मानना है कि अगर पाकिस्तान लगातार एफएटीएफ को निराश करता है और उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है तो इसके गंभीर वित्तीय और कूटनीतिक नतीजे होंगे।