भारत के लिए गुजरा साल जबर्दस्त उठा-पटक वाला था। साल की शुरुआत पठानकोट पर
हमले के साथ हुई और अंत विमुद्रीकरण और यूपी में सपा के पारिवारिक संग्राम के साथ
हुआ। एक तरफ देश की सुरक्षा और विदेश नीति के सवाल थे, वहीं अर्थ-व्यवस्था और
राजनीति में गहमा-गहमी थी। हमने पथरीला रास्ता पार कर लिया है। यह साल सफलताओं का
साल साबित होने वाला है। अब राह आसान है और नेपथ्य का संगीत बदल रहा है।