अर्थव्यवस्था को ठीक
बनाए रखने और औद्योगिक संवृद्धि को तेज करने के इरादे से सरकार ने सार्वजनिक
क्षेत्र के उद्योगों के विनिवेश में तेजी लाने का फैसला किया है। इसके
साथ-साथ सरकार ने नौ सार्वजनिक उद्योगों की जमीन और भवनों को बेचने का कार्यक्रम भी बनाया है। देश के सार्वजनिक उद्योगों के पास
काफी जमीन पड़ी है, जिसका कोई इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। सरकार के पास भी शायद
इस बात की पूरी जानकारी भी नहीं है कि कितनी जमीन इन उद्योगों के पास है। अब इस
संपदा को बेचने के लिए सरकार वैश्विक कंपनियों की सलाह ले रही है।
कानपुर को औद्योगिक कब्रिस्तान कहा जाता है। आप
शहर से गुजरें तो जगह-जगह बंद पड़े परिसर नजर आएंगे। यह जगह कभी गुलज़ार रहा करती
थी। शहर के बंद पड़े सार्वजनिक उद्योगों, मुम्बई के वस्त्र उद्योग और बेंगलुरु के एचएमटी
इलाके में ऐसी खाली जमीन को देखा जा सकता है। देश के अनेक शहरों में ऐसे दृश्य
देखे जा सकते हैं। अक्तूबर 2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार के पास 13,505
वर्ग किलोमीटर जमीन है। भूमि का यह परिमाण दिल्ली
के क्षेत्रफल (1.483 वर्ग किलोमीटर) का नौगुना है। देश के 51 केंद्रीय मंत्रालयों
में से 41 और 300 से ऊपर सार्वजनिक
क्षेत्र के उद्योगों में से 22 से प्राप्त विवरणों
पर यह जानकारी आधारित थी।