ऊपर का यह चित्र प्रचीन काल में ऋषि सुश्रुत की शल्य चिकित्सा को दर्शा रहा है। भारत में आयुर्वेद चिकित्सक प्राचीन काल से शल्य चिकित्सा करते रहे हैं। भारत सरकार ने गत 19 नवंबर को एक अधिसूचना के जरिए चिकित्सा के क्षेत्र में आयुर्वेद को और बढ़ावा देने के लिए स्नातकोत्तर छात्रों को ग्रेजुएट डॉक्टरों को सर्जरी (Ayurveda surgery) करने की अनुमति देने का फैसला किया। सरकार के इस फैसले का सबसे बड़ा विरोध इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने किया है। IMA ने इस फैसले को मेडिकल संस्थानों में चोर दरवाजे से प्रवेश का प्रयास बताते हुए कहा कि ऐसे में NEET जैसी परीक्षा का कोई महत्व नहीं रह जाएगा।
आईएमए ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ आंदोलन चलाने का फैसला किया है। इस सिलसिले में 8 दिसंबर को देशभर में प्रदर्शन किए जाएंगे और 11 दिसंबर को चिकित्सालयों में गैर-कोविड चिकित्सा कार्यों को ठप रखा जाएगा।