यूक्रेन पर रूसी हमले के इस दौर में दुनिया का
ध्यान यूरोप पर है, पर अंदेशा इस बात का भी है कि हिंद-प्रशांत में भी किसी भी समय
टकराव की स्थितियाँ पैदा हो सकती हैं।
हाल
में चीन और रूस के विमानों ने जापान के आसपास के आकाश पर उड़ानें भरकर अपने इरादे
जाहिर किए हैं। यूक्रेन में रूसी कार्रवाई की देखादेखी चीन भी ताइवान के खिलाफ
कार्रवाई करने के संकेत दे रहा है। उधर जापान में पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की
हत्या के बाद इस बात की सम्भावना है कि जापान अपनी सुरक्षा को लेकर कुछ बड़े कदम
उठा सकता है। इन सब बातों को देखते हुए रिम्पैक युद्धाभ्यास का महत्व है। इस
युद्धाभ्यास में भारत भी शामिल होता है। ताइवान से लेकर पूर्वी लद्दाख तक अपने
पड़ोसी देशों को आंखें दिखा रहे चीन को उसके घर में ही घेरने की तैयारी शुरू हो गई
है।
भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस सतपुड़ा और
पी8आई टोही विमान ने अमेरिका के हवाई द्वीप स्थित पर्ल हार्बर पर इस युद्धाभ्यास में
भाग लिया। इस अभ्यास के लिए सतपुड़ा 27 जून को और पी8आई विमान 2 जुलाई को हवाई
पहुंचा था। कमांडर पुनीत डबास के नेतृत्व में पी8आई दस्ते का हिकम हवाई क्षेत्र पर
एमपीआरए परिचालन के प्रमुख विंग कमांडर मैट स्टकलेस (आरएएएफ) ने स्वागत किया।
पी8आई ने सात प्रतिभागी देशों के 20 एमपीआरए के साथ समन्वित बहुराष्ट्रीय पनडुब्बी
भेदी युद्ध अभियान में हिस्सा लिया।
गत 29 जून से चल रहा और 4 अगस्त तक होने वाला रिम्पैक नौसैनिक-युद्धाभ्यास चीन के लिए गम्भीर
चुनौती का काम करेगा। भारतीय नौसेना और क्वॉड के अन्य देशों के अलावा हमारे पड़ोस और दक्षिण चीन सागर से
जुड़े, जो देश इसमें भाग ले रहे हैं उनमें फिलीपींस, ब्रूनेई, मलेशिया, इंडोनेशिया,
सिंगापुर, थाईलैंड और श्रीलंका के नाम उल्लेखनीय हैं। दुनिया का यह सबसे बड़ा
युद्धाभ्यास चीन को घेरने और उसे कठोर संदेश देने की यह कोशिश है। यह युद्धाभ्यास
सन 1971 से हो रहा है। इस साल इसका 28वाँ संस्करण होगा, पर वैश्विक स्थितियों को
देखते हुए इस साल अभ्यास का विशेष महत्व है।
रिम्पैक युद्धाभ्यास
रिम ऑफ द पैसिफिक एक्सरसाइज़ को संक्षेप में
रिम्पैक कहते हैं। दो साल में एकबार होने वाला यह युद्धाभ्यास अमेरिका के पश्चिमी
तट पर प्रशांत महासागर में होनोलुलु, हवाई के पास
जून-जुलाई में होता है। इसका संचालन अमेरिकी नौसेना का प्रशांत बेड़ा करता है,
जिसका मुख्यालय पर्ल हार्बर में है। इसका साथ देते हैं मैरीन कोर,
कोस्ट गार्ड और हवाई नेशनल गार्ड फोर्स। हवाई के गवर्नर इसके प्रभारी
होते हैं।
हालांकि यह युद्धाभ्यास अमेरिकी नौसेना का है,
पर वह दूसरे देशों की नौसेनाओं को भी इसमें शामिल होने का निमंत्रण
देते हैं। इसमें प्रशांत महासागर से जुड़े इलाके के देशों के अलावा दूर के देशों
को भी बुलाया जाता है। पहला रिम्पैक अभ्यास सन 1971 में हुआ था, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, युनाइटेड
किंगडम, और अमेरिका की नौसेनाओं ने भाग लिया। ऑस्ट्रेलिया,
कनाडा और अमेरिका ने तबसे अबतक हरेक अभ्यास में हिस्सा लिया है। इसमें
शामिल होने वाले अन्य नियमित भागीदार देश हैं, चिली,
कोलम्बिया, फ्रांस, इंडोनेशिया,
जापान, मलेशिया, नीदरलैंड्स,
पेरू, सिंगापुर, दक्षिण
कोरिया, और थाईलैंड। न्यूजीलैंड की नौसेना 1985 तक नियमित रूप से इसमें शामिल होती
रही। एक विवाद के कारण कुछ साल तक वह अलग रही, फिर
2012 के बाद से उसकी वापसी हो गई। पिछले कई वर्षों से भारतीय नौसेना भी इसमें शामिल
होती है। चीन की नौसेना ने भी 2014 में रिम्पैक अभ्यास में पहली बार हिस्सा लिया
था, लेकिन 2018 में अमेरिका ने चीनी नौसेना को इसमें शामिल होने का निमंत्रण नहीं
दिया। अमेरिका ने कहा कि चीन दक्षिण चीन सागर में विवादित द्वीपों पर तेजी से फौजी
तैयारी कर रहा है।