दीवाली का समय है, जो उत्सवों-पर्वों के अलावा अर्थव्यवस्था की सेहत और पारम्परिक कारोबार के नए खातों का समय होता है। महामारी के कारण बिगड़ी आर्थिक गतिविधियाँ पटरी पर वापस आ रही हैं। साथ ही सरकार और कारोबार की परीक्षा का यह समय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 22 अक्तूबर को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में देशवासियों से भारत में बने उत्पाद खरीदने और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के अभियान 'वोकल फॉर लोकल' को सफल बनाने का आग्रह किया।
कोविड-19 के बचाव में एक अरब टीकों के लगने से
देश भर में विश्वास का माहौल बना है। त्योहारी सीजन की वजह से भी आर्थिक गतिविधियों
को बढ़ावा मिलेगा। विशेषज्ञ और एजेंसियां अर्थव्यवस्था को लेकर उत्साहित हैं।
दूसरी तरफ माँग में तेजी और वैश्विक मुद्रास्फीति के कारण भारत में कीमतें बढ़ने
का अंदेशा है। खनिज तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में उछाल, खाद्य
तेलों की महंगाई, धातुओं की कमी और कोयले की सप्लाई में
दिक्कतों के कारण अर्थव्यवस्था में अड़ंगे पैदा लगेंगे।
साख और शक्ति
सवाल कई हैं। मेक इन इंडिया और आत्म निर्भर
भारत जैसे सरकारी कार्यक्रम क्या वैश्वीकरण के इस दौर में सफल होंगे? क्या हम अपने उत्पाद वैश्विक बाजार में बेचने में सफल होंगे? यों तो हमारा आंतरिक बाजार बहुत बड़ा है, पर क्या हमारे उपभोक्ता की
क्रय-शक्ति इतनी है कि वह अर्थव्यवस्था को तेजी से बढ़ाने में मददगार हो? अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के इस महीने जारी अनुमानों के मुताबिक,
भारत इस वित्तवर्ष में 9.5 फीसदी और अगले वित्तवर्ष में 8.5 फीसदी की
संवृद्धि दर के साथ दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। मूडीज़
ने भारत की साख को बेहतर करते हुए नकारात्मक से स्थिर श्रेणी में कर दिया। उसका
कहना है कि एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में पुनरुद्धार जारी है और चालू
वित्त वर्ष में संवृद्धि दर महामारी से पहले के मुकाबले बेहतर होगी।
भरोसा बढ़ा
मोदी ने कहा कि एक अरब टीके दिए जाने से छोटे
कारोबारों, फेरीवालों और पटरी वाले विक्रेताओं के लिए
उम्मीद की किरण जगी है। एक ज़माने में विदेशों में बने सामान में लोगों की
दिलचस्पी होती थी, लेकिन आज 'मेक इन इंडिया' की
ताकत बढ़ रही है। पिछले साल दीवाली के समय लोगों के दिलो-दिमाग में तनाव था लेकिन
अब टीकाकरण अभियान की वजह से भरोसा है। उन्होंने कहा, मेरे
देश में बने टीके मुझे सुरक्षा दे सकते हैं तो देश में बनाए गए सामान भी मेरी
दीवाली को और भव्य बना सकते हैं।
इस साल मार्च के बाद से निर्यात में भी वृद्धि
हुई है। वैश्विक व्यापार में सुधार के कारण इंजीनियरिंग माल, कपड़ों, रासायनिक उत्पादों के निर्यात में
वृद्धि हुई है। माल और सेवा के संयुक्त निर्यात में सितंबर में पिछले साल की इसी
अवधि में हुए निर्यात के मुकाबले 22 फीसदी की वृद्धि हुई। निर्यात ने महामारी
शुरू होने से पहले के आंकड़े को पार कर लिया है।
राजकोषीय घाटे में कमी
एक और सकारात्मक खबर है। राजकोषीय घाटा अप्रैल-सितंबर अवधि के दौरान घटकर बजट अनुमान का 35 प्रतिशत रह गया है, जो पिछले साल की इसी अवधि में बजट अनुमान का 115 प्रतिशत था। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा चार साल के निम्नतम स्तर 5.26 लाख करोड़ रुपये रह सकता है। दूसरी तरफ कुल व्यय बजट अनुमान से ज्यादा हो सकता है। उत्साह का मुख्य कारण है सितंबर में राजस्व में हुई 50 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि। अग्रिम कर और अप्रत्यक्ष कर में तेज बढ़ोतरी हुई है। महालेखा नियंत्रक के आंकड़ों से पता चलता है कि सरकार को सितंबर तक 10.8 लाख करोड़ रुपये (2021-22 की कुल प्राप्तियों के बजट अनुमान की तुलना में 27.3 प्रतिशत) मिले हैं। इसमें 9.2 लाख करोड़ रुपये कर राजस्व, 1.6 लाख करोड़ रुपये गैर कर राजस्व और 18,118 करोड़ रुपये गैर ऋण पूंजीगत प्राप्तियां हैं।