जब हम विश्व समुदाय की बात करते हैं तो इसका एक मतलब होता है
अमेरिका और उसके दोस्त। और जब हम ‘उद्दंड या दुष्ट देश’ यानी ‘रोग स्टेट्स’ कहते हैं तो उसका
मतलब होता है उत्तर कोरिया, ईरान और सीरिया और एक हद तक वेनेजुएला। सन 1990 के दशक
से दुनिया को शीत-युद्ध से भले मुक्ति मिल गई, पर अमेरिका और इन ‘उद्दंड देशों’ के बीच तनातनी का नया दौर शुरू हो गया है। अमेरिका का कहना
है कि उत्तर कोरिया किसी भी वक्त दक्षिण कोरिया या प्रशांत महासागर में स्थित अमेरिकी
अड्डों पर मिसाइलों से हमला कर सकता है। सुदूर पूर्व पर नज़र रखने वालों का कहना है
कि उत्तर कोरिया हमला नहीं करेगा। परमाणु बम का प्रहार करने की स्थिति में वह नहीं
है। उसके पास एटमी ताकत है ज़रूर, पर डिलीवरी की व्यवस्था नहीं है। हो सकता है वह किसी
मिसाइल का परीक्षण करे या एटमी धमाका। अलबत्ता यह विस्मय की बात है कि सायबर गाँव में
तब्दील होती दुनिया में कोरिया जैसी समस्याएं कायम हैं। दोनों कोरिया एक भाषा, एक संस्कृति,
एक राष्ट्र के बावजूद राजनीतिक टकराव के अजब-गजब प्रतीक है।