जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि शीघ्र ही भारत से पश्चिम एशिया के रास्ते से होते हुए यूरोप तक एक कनेक्टिविटी कॉरिडोर के निर्माण का कार्य शुरू होगा. इस परियोजना में शिपिंग कॉरिडोर से लेकर रेल लाइनों तक का निर्माण किया जाएगा. सैकड़ों साल पुराना भारत-अरब कारोबारी माहौल फिर से जीवित हो रहा है.
इस परियोजना में दो
कॉरिडोर बनेंगे. एक पूर्वी कॉरिडोर, जो भारत से जोड़ेगा और दूसरा उत्तरी (या पश्चिमी)
कॉरिडोर, जो यूरोप तक जाएगा. इसके पहले ईरान और मध्य एशिया के देशों के रास्ते
यूरोप तक जाने वाले उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर पर भी काम चल रहा है. उसमें भी भारत की
भूमिका है, पर ईरान और रूस के कारण पश्चिमी देशों की भूमिका उस कार्यक्रम में नहीं
है.
एशिया में
प्रतिस्पर्धा
पश्चिम एशिया में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास उस परियोजना का हिस्सा नहीं जरूर नहीं है, पर चीन की दिलचस्पी भी इस इलाके में है और हाल में चीन ने ईरान, सऊदी अरब और यूएई के साथ संबंधों को प्रगाढ़ किया है. एक तरह से यह चीन के ‘बीआरआई’ और पश्चिम के ‘बी3डब्लू (बिल्ड बैक बैटर वर्ल्ड)’ के बीच प्रतियोगिता होगी.