इसमें दो राय नहीं कि देश में कोयले का संकट है, जिसके कारण बिजली संकट पैदा होने का खतरा है, पर क्या यह बात वैसे ही राजनीतिक-विवाद का विषय बनेगी, जैसा इस साल अप्रेल-मई में मेडिकल-ऑक्सीजन की किल्लत के कारण पैदा हुआ था? शायद उसकी खुशबू आते ही दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री ने केन्द्र सरकार के खिलाफ आवाज बुलन्द करनी शुरू कर दी है।
ऐसा लगता है कि
दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार दोनों ने सम्भावित संकट को देखते हुए अभी से
पेशबन्दी शुरू कर दी है। दिल्ली के उप-मुख्यमन्त्री मनीष सिसौदिया ने ऑक्सीजन का
ही हवाला दिया। उसे देखते हुए केन्द्र सरकार ने फौरन जवाब दिया। सवाल है कि क्या
बिजली-संकट पैदा होगा? या केन्द्र सरकार हालात पर काबू पा लेगी?
सारी आशंकाओं को
केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने 'निराधार'
करार दिया है। उन्होंने रविवार को कहा कि संकट
न तो कभी था, न
आगे होगा। ऊर्जा मंत्री ने कहा कि 'हमारे पास आज के
दिन में कोयले का चार दिन से ज़्यादा का औसतन स्टॉक है, हमारे
पास प्रतिदिन स्टॉक आता है। कल जितनी खपत हुई, उतना
कोयले का स्टॉक आया।…'हमें कोयले की अपनी उत्पादन क्षमता
बढ़ानी है हम इसके लिए कार्रवाई कर रहे हैं।'
कोयला मंत्रालय ने कहा कि गत 9 अक्तूबर को ताप बिजलीघरों के लिए 19 लाख 20 हजार टन कोयला भेजा गया है, जबकि कुल माँग 18 लाख 70 हजार टन की है। स्थिति बदल रही है और हम अपने भंडारों को फिर से बेहतर बना रहे हैं।