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Friday, June 14, 2013

खेल जब पेशा है तो ‘फिक्सिंग’ भी होगी

खेल को पेशा बनाने का नतीजा

सतीश आचार्य का कार्टून


स्पॉट फिक्सिंग मामले में जेल से छूटने के बाद एस श्रीशांत ने कहा कि मैं इस प्रकरण को कभी नहीं भूलूँगा। इसने मुझे कई चीजें सिखाई हैं। श्रीशांत, अंकित चह्वाण और अजित चंडीला को एक आप खारिज कर दीजिए, भर्त्सना कीजिए। पर सब जानते हैं कि इस पापकर्म के वे सूत्रधार नहीं हैं। अपने पैरों पर कुल्हाड़ी इन्होंने मारी है। इनके पास इज़्जत, शोहरत और पैसे की कमी नहीं थी। खेल जीवन में यह सब इन्हें मिलता। फिर भी इन्होंने अपना करियर चौपट करना मंज़ूर किया। किस लालच ने इन्हें इस गलीज़ रास्ते पर डाला? उसी क्रिकेट ने जिसे यह खेल समझ कर आए थे। हमारे जीवन में पहले से मौज़ूद फिक्सिंग शब्द को आईपीएल ने नया आयाम दिया है। यह अति उत्साही कारोबारियों का कमाल है, जिन्होंने सब देखा उस गड़्ढे को नहीं देखा जिसपर उनके कदम पड़ चुके हैं।

Wednesday, May 22, 2013

मीडिया को चाहिए हर रोज़ एक नया शिकार


विन्दु दारा सिंह की गिरफ्तारी की खबर ऐसी छाई कि मंगलवार को नरेन्द्र मोदी की दिल्ली यात्रा की खबर सामने आ ही नहीं पाई। कोलगेट, टूजी, सीबीआई वगैरह पीछे रह गए हैं।लद्दाख का मसला पिछले दिनों मीडिया पर छाया रहा, पर जब चीनी प्रधानमंत्री दिल्ली आए तो उसपर किसी ने ध्यान नहीं दिया। पाकिस्तान का चुनाव एक दिन का रोमांच पैदा कर पाए। मीडिया के मुँह में रोमांच का खून लग गया है। जंगल के शेर की तरह उसे हर रोज़ और हर समय रोमांच से भरा एक शिकार चाहिए। 

Sunday, May 19, 2013

खेलों का कचूमर निकालते उसके सौदागर



स्पॉट फिक्सिंग सिर्फ क्रिकेट का मामला नहीं है। अब यह हमारे खून में शामिल हो गई है। जबसे आईपीएल शुरू हुआ है यह बेशर्मी से चीयर गर्ल्स के साथ नाचने लगी है। पिछले साल इन्हीं दिनों आईपीएल से जुड़े कुछ खिलाड़ियों पर स्पॉट फिक्सिंग के आरोप लगे थे। 

एक स्टिंग ऑपरेशन के बाद पुणे वारियर्स के मोहनीश मिश्रा, किंग्स इलेवन पंजाब के शलभ श्रीवास्तव, डेकन चार्जर्स के टी. पी. सुधींद्र, किंग्स इलेवन पंजाब के अमित यादव और दिल्ली के अभिनव बाली को सस्पेंड किया गया था। जाँच के बाद टीपी सुधीन्द्र को जीवन भर के लिए और शलभ श्रीवास्तव  को पाँच साल के लिए बैन कर दिया गया। 

बाकी तीन खिलाड़ियों को लूज़ टॉक के कारण एक-एक साल के लिए बैन किया गया। एक साल का यह बैन इसी बुधवार को खत्म हुआ था। यानी जिस दिन श्रीसंत एंड कम्पनी का मामला सामने आया। 

उसी दिन अंतरऱाष्ट्रीय ओलिम्पिक महासंघ के साथ भारत की ओलिम्पिक खेलों में वापसी को लेकर सकारात्मक बात हुई थी। ओलिम्पिक खेलों का आईपीएल से कोई रिश्ता नहीं है, पर भारत में खेलों का जो कचूमर निकला है उसमें आईपीएल कल्चर का हाथ है। 

सन 2008 में जबसे आईपीएल शुरू हुआ है कोई साल ऐसा नहीं जाता जब कोई विवाद खड़ा नहीं होता हो। बीसीसीआई ने कभी इसे गम्भीरता से नहीं लिया। पिछले साल इस मामले में पुलिस जाँच की ज़रूरत नहीं समझी गई। उन दिनों अमित यादव ने मीडिया के सामने ऐसा इशारा किया था कि टीम फ्रैंचाइज़ी खुद ही फिक्स कर देते हैं।