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Saturday, September 20, 2025

सऊदी-पाक समझौता और भारत

 

पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच बुधवार 17 सितंबर को हुए आपसी रक्षा समझौते को लेकर भारत में आशंकाएँ व्यक्त की जा रही हैं। यह भी माना जा रहा है कि बेशक यह समझौता पश्चिम एशिया के बदलते हालात में काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन यह भारत के खिलाफ नहीं है। और वस्तुतः पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच साठ के दशक से चली आ रही अनौपचारिक रक्षा-साझेदारी औपचारिक हो गई है। इसके साथ ही इन दोनों देशों के अमेरिका, इसराइल और चीन के अलावा ईरान और तुर्की के साथ रिश्तों की पेचीदगियों को समझने की जरूरत भी होगी। साथ ही हाल में क़तर पर हुए इसराइली हमले के बाद की गतिविधियों पर भी नज़र डालनी होगी।

इस समझौते के बारे में अभी तक ज्यादा विवरण सामने नहीं आए हैं, लेकिन इसमें कही गई एक बात ने भारत में पर्यवेक्षकों का ध्यान खींचा है, कि ‘दोनों में से किसी भी देश पर हुआ आक्रमण को दोनों के खिलाफ आक्रमण माना जाएगा।’ इससे कुछ लोग इसे ऑपरेशन सिंदूर जैसी परिस्थिति से जोड़ रहे हैं। सच यह है कि दोनों देशों के बीच यह समझौता लंबी बातचीत का परिणाम है। संभावना इस बात की है कि यूएई और बहरीन जैसे देश भी इस समझौते में शामिल हो सकते हैं। इस समझौते के ठीक पहले इस्लामिक देशों का एक संयुक्त सैनिक-बल बनाने की दिशा में भी पहल शुरू हुई है।

Monday, April 19, 2021

भारत-सऊदी तेल-डिप्लोमेसी में तल्ख़ी


भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा खनिज-तेल आयातक देश है। ईरान पर अमेरिकी पाबंदियों के कारण वाजिब कीमत पर तेल की खरीद को धक्का लगा था, पर सऊदी अरब का सहारा था। इस तेल-डिप्लोमेसी ने सऊदी अरब के साथ हमारे दीगर-रिश्ते भी सुधारे थे। अब तेल की कीमतों की गर्मी में ये रिश्ते पिघलते दिखाई पड़ते हैं।  

पिछले छह महीनों से अंतरराष्ट्रीय तेल-बाजार में सुर्खी आने लगी है। इस वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान होने लगा। इस तेजी के पीछे है ओपेक प्लस देशों का उत्पादन घटाने का फैसला। इसमें खासतौर से सऊदी अरब की भूमिका है। पिछले साल अप्रेल से दिसम्बर के बीच भारत ने औसतन 50 डॉलर से कम कीमत पर तेल खरीदा था। पर पिछले महीने कीमत 60 डॉलर के ऊपर पहुँच गई।

पेट्रोल पर भारी टैक्स के कारण भारत के खुले बाजार में पेट्रोल की कीमत 100 प्रति लिटर से ऊपर चली गई है। इससे सरकार की फज़ीहत होने लगी है। ब्रेंट-क्रूड की कीमतें पिछले साल अक्तूबर में 40 डॉलर प्रति बैरल थीं, जो इस महीने 64 डॉलर के आसपास आ गईं। भारत जैसे विकासशील देशों को महामारी के इस दौर में इसकी वजह से अपनी अर्थव्यवस्थाओं को पटरी पर लाने में दिक्कतें पैदा होने लगी हैं।

Monday, December 21, 2020

जन. नरवणे की अरब-यात्रा की पृष्ठभूमि में है भावी आर्थिक-सहयोग

भारत के थलसेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे मंगलवार 8 दिसंबर को एक हफ़्ते के लिए संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब के दौरे पर जब रवाना हुए, तब कुछ पर्यवेक्षकों का माथा ठनका था। उन्हें यह बात अटपटी लगी। वे भारत और मुस्लिम देशों के रिश्तों को पाकिस्तान के संदर्भ में देखते हैं, जबकि यह नजरिया अधूरा और गलतियों से भरा है। कोविड-19 के कारण यह यात्रा प्रस्तावित समय के बाद हुई है। अन्यथा इसे पहले हो जाना था। इसलिए इसके पीछे किसी तात्कालिक घटना को जोड़कर देखना उचित नहीं होगा।

सच यह है कि पश्चिम एशिया में राजनीतिक-समीकरण बदल रहे हैं। खासतौर से इजरायल के साथ अरब देशों के रिश्तों में बदलाव नजर आ रहा है। हाल में ईरान के नाभिकीय वैज्ञानिक मोहसिन फ़ख़रीज़ादेह की हत्या के बाद से भी इस इलाके में तनाव है। हत्या के पीछे ईरान ने इजरायल का हाथ बताया है, पर तनाव की गर्म हवाएं सऊदी अरब तक भी पहुँची हैं। स्वाभाविक रूप से ये बातें भी पृष्ठभूमि में होंगी।