केंद्रीय
मंत्रिमंडल ने बुधवार 4 दिसम्बर को व्यक्तिगत
डेटा संरक्षण विधेयक-2019 को अपनी मंजूरी दे दी. यह विधेयक 11
दिसंबर को संसद में पेश कर दिया गया है. इस बिल के जरिए सार्वजनिक और प्राइवेट
कंपनियों के लिए निजी डेटा की प्रोसेसिंग [pj1] को लेकर कानून बनाने का
उद्देश्य है. विधेयक के पास हो जाने के बाद
भारतीय विदेशी कंपनियों को व्यक्तियों के बारे में प्राप्त व्यक्तिगत जानकारियों
के इस्तेमाल को लेकर कुछ मर्यादाओं का पालन करना होगा. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में प्राइवेसी को मौलिक अधिकार घोषित किया था, पर अभी तक देश में व्यक्तिगत सूचनाओं के बारे में कोई नियम
नहीं है.
यह विधेयक व्यक्तिगत डेटा संरक्षण
विधेयक-2018 पर आधारित है, जिसे एक उच्चस्तरीय समिति की
सिफारिशों के आधार पर तैयार किया गया था. इस समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के
पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण ने की थी. चूंकि सरकार के विभिन्न
मंत्रालयों के बीच इस विषय पर विमर्श चल रहा था, इसलिए इसे सरकार
के पिछले दौर में रखा नहीं जा सका था. यह कानून पास हो जाने के बाद कम्पनियों को
कुछ समय इसके लिए दिया जाएगा, ताकि वे अपनी व्यवस्थाएं कर सकें.