पश्चिमी उत्तर प्रदेश का रामपुर शहर रूहेलखंड की संस्कृति का केंद्र और नवाबों की नगरी रहा है. एक दौर में अफगान रूहेलों के आधिपत्य के कारण इस इलाके को रूहेलखंड कहा जाता है. रोहिल्ला वंश के लोग पश्तून हैं; जो अफगानिस्तान से उत्तर भारत में आकर बसे थे. रूहेलखंड सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यन्त समृद्ध क्षेत्र रहा है. साहित्य, रामपुर घराने का शास्त्रीय संगीत, हथकरघे की कला, और बरेली के बाँस का फर्नीचर इस इलाके की विशेषताएं हैं. अवध के नवाबों की तरह रामपुर के नवाबों की तारीफ गंगा-जमुनी संस्कृति को बढ़ावा देने के कारण होती है.
रूहेलखंड का एक महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र है
रामपुर, जहाँ से 1952 के पहले लोकसभा चुनाव में देश के पहले शिक्षामंत्री अबुल
कलाम आज़ाद जीतकर आए थे. मौलाना आज़ाद के अलावा कालांतर में रामपुर नवाब खानदान के
सदस्यों से लेकर फिल्म कलाकार जयाप्रदा और खाँटी ज़मीनी नेता आजम खान तक ने इस
क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है.
सपा नेता आजम खां का कभी रामपुर में इतना दबदबा
था कि जनता ही नहीं, बड़े सरकारी अफसर भी उनसे खौफ खाते थे। उनकी
दहशत के किस्से इस इलाके के लोगों की ज़ुबान पर हैं. बताते हैं कि एक अफसर उनकी डाँट
के कारण उनके सामने ही गश खा गया. वक्त की बात है कि आज आजम खान और जयाप्रदा जैसे
सितारों के सितारे गर्दिश में हैं.
अबुल कलाम आज़ाद
इस सीट से 1952 में पहली बार कांग्रेस के मौलाना अबुल कलाम आज़ाद लोकसभा में गए थे. हालांकि उनका परिवार कोलकाता में रहता था, पर उन्हें रामपुर से चुनाव लड़ने के लिए कहा गया. उनका मुकाबला हिंदू महासभा के बिशन चंद्र सेठ से हुआ. उस चुनाव में कुल दो प्रत्याशी ही मैदान में थे. मौलाना आज़ाद को कुल 108180 यानी 54.57 प्रतिशत और उनके प्रतिस्पर्धी को 73427 यानी कि कुल 40.43 प्रतिशत वोट मिले.