पिछले हफ्ते तिरुपति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 104वीं भारतीय साइंस कांग्रेस का उद्घाटन करते हुए कहा कि भारत
2030 तकनीकी विकास के मामले में दुनिया के ‘टॉप तीन’ देशों में शामिल होगा. मन के बहलाने को गालिब ये ख्याल
अच्छा है, पर व्यावहारिक नजरिए से आज हमें एशिया के टॉप तीन देशों में भी शामिल होने
का हक नहीं है. एशिया में जापान, चीन, दक्षिण कोरिया, ताइवान, इसरायल और सिंगापुर
के विज्ञान का स्तर हमसे बेहतर नहीं तो, कमतर भी नहीं है.
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Monday, January 9, 2017
Thursday, January 15, 2015
विज्ञान और वैज्ञानिकता से नाता जोड़िए
हाल में मुम्बई
में हुई 102वीं साइंस
कांग्रेस तथाकथित प्राचीन भारतीय विज्ञान से जुड़े कुछ विवादों के कारण खबर में
रही. अन्यथा मुख्यधारा के मीडिया ने हमेशा की तरह उसकी उपेक्षा की. आमतौर पर 3
जनवरी को शुरू होने वाली विज्ञान कांग्रेस हर साल नए साल की पहली बड़ी घटना होती
है. जिस उभरते भारत को देख रहे हैं उसका रास्ता साइंस की मदद से ही हम पार कर सकते
हैं. इस बार साइंस कांग्रेस का थीम थी 'मानव विकास के लिए विज्ञान और तकनीकी'. इसके उद्घाटन के बाद
पीएम मोदी ने कहा कि साइंस की मदद से ही गरीबी दूर हो सकती है और अमन-चैन कायम हो
सकता है. यह कोरा बयान नहीं है, बल्कि सच है. बशर्ते उसे समझा जाए.
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