देस-परदेश
भारत और पाकिस्तान के रिश्तों को लेकर हाल में कुछ खबरें ऐसी सुनाई पड़ीं, जिन्हें एकसाथ जोड़कर पढ़ने की इच्छा होती है. हालांकि इन खबरों की पृष्ठभूमि अलग है और उनका आपस में सीधे कोई संबंध नहीं है, पर उनसे दोनों देशों के ठंडे-गर्म रिश्तों की शिद्दत का पता लगता है.
पहली खबर है पाकिस्तानी सेना के पूर्व डीजी
आईएसपीआर मेजर जनरल (सेनि) अतहर अब्बास ने हाल में 14वें कराची लिटरेचर फेस्टिवल
के दौरान हुई एक चर्चा में कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच सेना के बजाय किसी
दूसरे स्तर पर बातचीत होनी चाहिए. ऐसा पाकिस्तान के हित में जरूरी है.
दूसरी खबर है पाकिस्तान की मदद को लेकर भारत के
विदेशमंत्री एस जयशंकर का दो टूक बयान. पाकिस्तान इन दिनों गंभीर आर्थिक संकट का
सामना कर रहा है. जयशंकर से एक इंटरव्यू में पूछा गया कि क्या ऐसे में हम
पाकिस्तान की सहायता कर सकते हैं?
उन्होंने जवाब दिया कि स्वाभाविक रूप से
पड़ोसियों की चिंताएं हैं और एक भावना है
कि हमें उनकी मदद करनी चाहिए. कल अगर किसी और पड़ोसी को कुछ हो जाता है तो भी यही
होगा, लेकिन आप जानते हैं कि पाकिस्तान के लिए देश में क्या भावना है? जयशंकर ने श्रीलंका के आर्थिक संकट के
दौरान भारत की सहायता का जिक्र किया और
कहा कि श्रीलंका के साथ हमारे संबंध अलग हैं.
पड़ोसी का धर्म
ध्यान दें पिछले साल पाकिस्तान में जबर्दस्त बाढ़ आई थी, जिसमें भारी जान-माल का नुकसान हुआ था. आमतौर पर अतीत में दोनों देशों में जिसपर भी प्राकृतिक आपदा आई, दूसरे ने मदद की है. पर इसबार की आपदा में भारत ने पाकिस्तान की सहायता नहीं की. भारत ने संभवतः सहायता का मन बनाया था, पर पाकिस्तान ने मदद की प्रार्थना नहीं की. दूसरी तरफ हाल में तुर्किये के भूकंप के बाद भारत ने आगे बढ़कर मदद की.