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Wednesday, December 8, 2021

नए वेरिएंट के साथ महामारी का तीसरा साल, घबराने की जरूरत नहीं


दुनिया पर छाई महामारी तीसरे साल में प्रवेश कर रही है। आम राय है कि अब इसका असर कम होना चाहिए, पर तीन बातों ने परेशान कर रखा है। यूरोप में एक नई लहर आई है। पश्चिमी देशों में वैक्सीन-विरोधी आंदोलन ने जोर पकड़ लिया है, जिसके कारण बीमारी पर काबू पाने में दिक्कतें पैदा हो रही हैं। और तीसरे वायरस का एक नया वेरिएंट प्रकट हुआ है, जिसने दुनियाभर में दहशत पैदा कर दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन को इसके पहले मामले की जानकारी 24 नवंबर को दक्षिण अफ्रीका से मिली थी। बोत्सवाना, बेल्जियम, हांगकांग और इसराइल में भी इस वेरिएंट की पहचान हुई है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस नए वेरिएंट को ओमिक्रोन नाम दिया है और इसे  'चिंतनीय वेरिएंट' (वेरिएंट ऑफ़ कंसर्न/वीओसी) की श्रेणी में रखा है। यह काफी तेज़ी से और बड़ी संख्या में म्यूटेट होने वाला वेरिएंट है। महामारी का दो साल का अनुभव है कि जितनी तेजी से काम करेंगे, बीमारी पर काबू पाने में उतनी ही आसानी होगी। सवाल है, क्या इस नए वेरिएंट पर काबू पाया जा सकेगा? क्या यूरोप में इसबार का सर्दी का मौसम शांति से गुजर जाएगा? और क्या इस तीसरे साल यह बीमारी पूरी तरह विदा हो जाएगी?

ज्यादा खतरनाक

शुरूआती अंदेशा था कि मुकाबले डेल्टा के नया वेरिएंट ओमिक्रोन ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है, पर अब खबरें आ रही हैं कि यह तेजी से संक्रमित होता है, पर कम खतरनाक है। इसके लक्षण मामूली हैं और घातक नहीं है। फिर भी एक सवाल है कि डेल्टा पर तो वैक्सीन प्रभावी थीं, क्या ओमीक्रोन के खिलाफ भी वे प्रभावी होंगी? क्या वैक्सीनों में बदलाव लाना होगा? फायज़र और बायोएनटेक ने इसकी जाँच शुरू कर भी दी है। उनका कहना है कि जरूरी हुआ, तो हम छह हफ्ते के भीतर वैक्सीन में बदलाव कर देंगे और 100 दिन के भीतर वैक्सीन के नए बैच जारी कर देंगे।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉक्टर माइक रयान का कहना है कि दुनिया में इस वक्त लगाए जा रहे कोरोना के टीके, कोविड के नए वेरिएंट ओमिक्रोन से लड़ने में समर्थ हैं। डब्लूएचओ ने कहा कि ऐसा कोई संकेत नहीं है कि ओमिक्रोन वेरिएंट पर वैक्सीन का असर, बाकी वेरिएंट की तुलना में कम होगा। डॉक्टर रयान ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "हमारे पास बहुत ही प्रभावी टीके हैं जो गंभीर बीमारी और अस्पताल में भरती होने के मामले में अब तक सभी वेरिएंट के ख़िलाफ़ प्रभावी साबित हुए हैं। यह मान लेने का कोई कारण नहीं है कि ओमिक्रोन पर इनका असर कम होगा।"

उन्होंने कहा कि शुरुआती आंकड़ों से पता चलता है कि ओमिक्रॉन ने डेल्टा और अन्य वेरिएंट की तुलना में कम लोगों को संक्रमित किया है। उनके मुताबिक यह बात इसके कम गंभीर होने की दिशा में इशारा करती है। अमेरिका के शीर्ष वैज्ञानिक डॉ एंटनी फाउची ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 का ओमीक्रोन वेरिएंट 'निश्चित' रूप से डेल्टा वेरिएंट से ज्यादा घातक नहीं है। बी.1.1.1.529 वेरिएंट ने बहुत बड़ी संख्या में म्यूटेशन दिखाए हैं। उन्होंने कहा कि कुछ संकेत मिले हैं कि यह कम गंभीर हो सकता है क्योंकि जब आप साउथ अफ्रीका की स्थिति देखते हैं तो पाते हैं कि संक्रमण की संख्या और अस्पताल में भरती होने वाले मामलों की संख्या के बीच का अनुपात डेल्टा की तुलना में कम है।