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Saturday, November 20, 2021

आंतरिक सुरक्षा और अदृश्य ‘बाहरी-हाथ’

भारत जैसे महादेश की एकता और अखंडता को बनाए रखना आसान काम नहीं है। खतरों की बात जब होती है, तब उसे भौगोलिक-सीमाओं तक महदूद मान लिया जाता है। आंतरिक-सुरक्षा के सामने खड़ा खतरा दिखाई नहीं पड़ता। दिखाई भी पड़ता है, तो उसके पीछे के बाहरी-हाथ को हम देख नहीं पाते हैं। फिफ्थ-कॉलम (घर के भीतर बैठा दुश्मन) तो अदृश्य होता ही है। आर्थिक-सामरिक हितों के समांतर आंतरिक-सुरक्षा की चुनौतियाँ बढ़ रही हैं, जो कम से कम तीन भौगोलिक-क्षेत्रों में दिखाई पड़ रही हैं। कश्मीर में लंबे अरसे से चल रहा हिंसक-प्रतिरोध और उन्हीं ताकतों से प्रेरित पंजाब में अलगाववाद, जिसे फिर से जगाने की कोशिश हो रही है। पूर्वोत्तर की हिंसा, जो काफी हद तक कमजोर हो चुकी थी, उसे भी भड़काने की कोशिशें हुई हैं। और मध्य भारत के लाल गलियारे की माओवादी हिंसा। तीनों हमारे सामने हैं, पर तीनों को जोड़ने वाले सूत्र अदृश्य हैं, दिखाई नहीं पड़ते।

चीन-पाक धुरी

हाल में भारत के सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने अफगानिस्तान को लेकर जब मध्य एशिया और पड़ोस के देशों का सम्मेलन बुलाया, तब पाकिस्तान ने उसके बहिष्कार की घोषणा की और चीन ने बहाना बनाकर कन्नी काटी। पाकिस्तान ने बैठक का न केवल विरोध किया, बल्कि अफगानिस्तान में शांति-स्थापना को लेकर भारत पर कई प्रकार के आरोप लगाए। चीन ने बैठक से अनुपस्थित होकर पाकिस्तानी-रणनीति का समर्थन किया। दोनों की जुगलबंदी शक्ल ले रही है।

जम्मू-कश्मीर में कुछ महीनों से एक के बाद एक हिंसक घटनाएं हो रही हैं। निशाने पर हैं, प्रवासी कामगार, कश्मीरी पंडित-सिख और सरकार के वफादार मुसलमान। पुंछ में करीब एक महीने से घुसपैठियों के खिलाफ सेना का अभियान जारी है। पाकिस्तान की ओर से बड़े स्तर पर घुसपैठ हुई है। राजौरी में भी घुसपैठ हुई है। अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी पाकिस्तानी सेना की गतिविधियों में असामान्य बदलाव है।

लगता है कि चीन-पाकिस्तान साझेदारी में भारत को अर्दब में लेने के लिए कोई नया खेल शुरू हुआ है। पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध को सुलझाने के लिए चीन के साथ 13वें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही। इधर चीन की संसद ने गत 23 अक्तूबर को अपनी ज़मीनी सीमा की पहरेदारी को लेकर एक कानून को पास किया है, जिसके तहत सीमावर्ती नागरिकों को कुछ अधिकार और दायित्व सौंपे गए हैं। खासतौर से तिब्बत की सीमा से लगे भारत, भूटान और नेपाल के गाँवों के नागरिकों को पहली रक्षा-पंक्ति के रूप में काम करने की जिम्मेदारी गई है।

चीनी हरकतें

इस कानून के ठीक पहले चीन ने भूटान के साथ एक समझौता किया है। उसका निहितार्थ स्पष्ट नहीं है, पर लगता है कि वह भूटान को फुसलाने की कोशिश कर रहा है। भारत की सीमा पर चीन ने हाल में अपनी सैन्य-क्षमता को बढ़ाया है, नए हवाई अड्डे तैयार किए हैं। भूटान की सीमा पर एक नया गाँव ही बसा दिया है। उधर अमेरिकी रक्षा विभाग ने चीन के सैन्य आधुनिकीकरण पर एक बड़ी रिपोर्ट में कहा है कि भारत के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपने दावों पर जोर डालने के लिए चीन लगातार रंग बदलने वाली हरकतें कर रहा है।

गत 13 नवंबर को मणिपुर में भारत-म्यांमार सीमा पर चुराचंदपुर जिले में हुए आतंकवादी हमले में 46 असम राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल विप्लव त्रिपाठी, उनकी पत्नी और बेटे और चार सैनिकों की हत्या के बाद हमारी निगाहें पूर्वोत्तर की आतंकवादी गतिविधियों की ओर घूमी हैं। मणिपुर में 2015 के बाद यह पहला बड़ा हमला है। उग्रवादी संगठन रिवॉल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (आरपीएफ) ने एक प्रेस विज्ञप्ति में दावा किया है कि कॉन्वॉय पर हमला हमारी सशस्त्र शाखा पीएलए (पीपुल्स लिबरेशन आर्मी) और एमएनपीएफ ने किया है। यह पीएलए चीनी-समर्थन पर फली-फूली है।

Friday, November 6, 2020

नियंत्रण रेखा पर चीनी धौंसपट्टी चलने नहीं देंगे

 


वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर भारत और चीन के बीच तनाव की खबरें कुछ समय से पृष्ठभूमि में चली गईं थी, पर आज (शुक्रवार 06 नवंबर) को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल विपिन रावत की चेतावनी के साथ बातें फिर से ताजा हो गईं हैं। यह सिर्फ संयोग नहीं है कि आज से ही दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव कम करने के बातचीत का आठवाँ दौर शुरू हो रहा है।

जनरल रावत ने कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर यथास्थिति को बदलने की चीनी कोशिशों को हम स्वीकार नहीं करेंगे। भारतीय सेना की दृढ़ता और संकल्प-शक्ति के कारण चीनी सेना को इस क्षेत्र में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। नेशनल डिफेंस कॉलेज द्वारा आयोजित एक वेबिनार में जनरल रावत ने कहा कि चीन के साथ बड़े संघर्ष को खारिज नहीं किया जा सकता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल इसकी संभावना कम है, पर चीन और पाकिस्तान की मिलीभगत के कारण टकराव बढ़ने (यानी एस्केलेशन) और क्षेत्रीय अस्थिरता पैदा होने का खतरा है।

Sunday, October 2, 2016

‘सर्जिकल स्ट्राइक’ ने क्या दिया?

विसंगति है कि हम गांधी जयंती के दिन सर्जिकल स्ट्राइक की बात कर रहे हैं। पर यह सवाल आज ही पूछा जा सकता है कि क्या शांति-स्थापना का रास्ता युद्ध से होकर नहीं जाता है? खासतौर से तब जब कोई हथियार लेकर सिर पर खड़ा हो? गुरुवार 28-29 सितम्बर की रात भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पार करके आतंकवादियों के सात लांच पैड पर हमले किए थे। यह प्रिवेंटिव कार्रवाई थी। हमले को रोकने की पेशबंदी।

Monday, August 8, 2016

डिफेंस मॉनिटर का ताजा अंक


डिफेंस मॉनिटर का ताजा अंक प्रकाशित हो गया है। यह अंक भारत के रक्षा उद्योग में निजी क्षेत्र की भागीदारी और पहली बार रक्षा सामग्री के निर्यात पर विशेष सामग्री के साथ सामने आ रहा है। इसके अलावा इसमें दक्षिण एशिया के बदलते परिदृश्य पर भी विशेष आलेख हैं। इस अंक की विशेष सामग्री का विवरण इस प्रकार है:-

रक्षा मंत्रालय को उद्योग जगत का समर्थन-जयंत डी पाटील
भारत-चीन के बीच सीमित युद्ध की आशंका-गुरमीत कँवल
रक्षा उद्योग में एफडीआई-बड़े अरमान से रखा है कदम-डॉ लक्ष्मण कुमार बेहरा
भारत की पाक नीति : निरंतरता और बदलाव की जरूरत-डॉ उमा सिंह
विमान दुर्घटनाएं : जाँच सजा के लिए नहीं, तथ्य जाँचने के लिए हो-एके चोपड़ा
अफगानिस्तान के राजदूत डॉ शैदा मोहम्मद अब्दाली से खास बातचीत
अन्य स्थायी स्तम्भों के साथ इस अंक में मझगाँव डॉक्स पर विशेष सामग्री है, जिससे आप अनुमान लगा सकते हैं कि युद्ध पोत और पनडुब्बी निर्माण की तकनीक के साथ कितने बड़े सरंजाम की जरूरत होती है।

इस अंक में मेरा एक लेख बढ़ते भारत-चीन  गठजोड़ और कश्मीर के घाटी क्षेत्र में बदलते घटनाक्रम पर है, जिसे मैं नीचे भी दे रहा हूँः-

पाकिस्तान और चीन अब एक हैं
प्रमोद जोशी
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में हाल में चुनाव हुए हैं, जिनमें नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) को सफलता मिली है। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पिछले कुछ समय से अपने इलाज के सिलसिले में लंदन में थे। वहाँ से लौटने के बाद वे सबसे पहले पीओके में ही गए और वहां जाकर कहा, अब बहुत जल्द जम्मू-कश्मीर पाकिस्तान बन जाएगा। उन्होंने यह बात जम्मू-कश्मीर में बुरहान वानी की मौत के बाद पैदा हुए हालात के संदर्भ में कही थी। इस बयान के जवाब में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने फौरन ही बयान जारी किया कि पाकिस्तान ऐसे सपने न देखे, वह दिन कभी नहीं आएगा।