प्रमोद जोशी
वरिष्ठ पत्रकार, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए
मंगलवार, 26 नवंबर, 2013 को 08:05 IST तक के समाचार
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली विधानसभा का चुनाव ओपीनियन पोल का काम करेगा. कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए.
दिल्ली एक बेहतरीन बैरोमीटर बनता, पर ‘आप’ ने एंटी क्लाइमैक्स तैयार कर दिया है.
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अंदेशा है कि दिल्ली का वोटर त्रिशंकु विधानसभा चुनकर दे सकता है. ऐसा हुआ तो ‘आप’ के सामने बड़ा धर्मसंकट पैदा होगा. यह उस धर्मसंकट का ट्रेलर भी होगा, जो 2014 के लोकसभा परिणामों के बाद जन्म ले सकता है.
दिल्ली से उठने वाली हवा के झोंके पूरे देश को प्रभावित करते हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों संसदीय सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी जीते थे.
इनमें कपिल सिब्बल, अजय माकन, कृष्णा तीरथ और संदीप दीक्षित की राष्ट्रीय पहचान है. यहाँ होने वाली राजनीतिक हार या जीत के चाहे व्यावहारिक रूप से कोई मायने न हों पर प्रतीकात्मक अर्थ गहरा होता है.
पिछले कुछ साल में देश के शहरी नौजवानों के आंदोलनों को सबसे अच्छा हवा-पानी दिल्ली में ही मिला. राजधानी होने के नाते दिल्ली इस आयु और आय वर्ग का बेहतरीन नमूना है.
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