कर्नाटक में भाजपा ने नरेंद्र मोदी का बेहतर इस्तेमाल जान-बूझकर नहीं किया या यह पार्टी के भीतरी दबाव का परिणाम था? सिर्फ एक रैली से मोदी पार्टी के सर्वमान्य नए राष्ट्रीय नेता के रूप में स्थापित नहीं होते.
हाँ, वे प्रादेशिक नेता के बजाय राष्ट्रीय नेता के रूप में प्रकट ज़रूर हुए हैं. उससे ज्यादा बड़ी बात यह है कि उन्होंने मौका लगते ही ‘ताकतवर नेता’ की ज़रूरत को फिर से राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बना दिया है.
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