Saturday, September 24, 2016

कोझीकोड बीजेपी बैठक पर उड़ी की छाया

प्रमोद जोशी
वरिष्ठ पत्रकार, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए


भारतीय जनता पार्टी ने कोझीकोड में राष्ट्रीय परिषद की बैठक की योजना तब बनाई थी जब राजनीतिक बिसात पर मोहरे दूसरे थे. पाटी की नज़र अगले साल के विधानसभा चुनावों पर थी, पर उड़ी हमले से कहानी बदल गई है.
देश का ध्यान अब इस बात पर है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार की रैली में पाकिस्तान को क्या संदेश देंगे. और पार्टी की नजरें इस बात पर हैं कि इस घटनाक्रम को चुनावों से किस तरह जोड़ा जाए. पाकिस्तान के साथ टकराव अक्सर केन्द्र की सरकारों की मदद करता रहा है.
परम्परा है कि राष्ट्रीय नेता सम्मेलन के समापन पर भाषण देता है, पर यहाँ मोदी के संदेश के साथ विषय प्रवर्तन होगा. प्रधानमंत्री वहाँ दो दिन रुकेंगे और रविवार को भी पार्टी के नेताओं को संबोधित करेंगे.
क़यास लग रहे हैं कि हम युद्ध की ओर तो नहीं बढ़ रहे हैं. बहरहाल अगले दो दिन कोझीकोड राष्ट्रीय राजनीति के केन्द्र में रहेगा. और भारतीय जनता पार्टी केरल को जताने की कोशिश करेगी कि हमने यहाँ पक्का खूँटा गाड़ दिया है.
पार्टी दक्षिण की जनता को अपनी संगठनात्मक क्षमता दिखाना चाहती है. पिछले साल बीजेपी ने दावा किया था कि उसके पंजीकृत सदस्यों की संख्या 10 करोड़ पार कर गई है. दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी केरल के दरवाजे पर खड़ी है.
कोझीकोड में पार्टी के महत्वपूर्ण पदाधिकारी, सांसद और राज्यों के मुख्यमंत्री नौजूद होंगे. यह वृहत् समागम दक्षिण में पैर जमाने की कोशिश का हिस्सा है. इन पाँच राज्यों से लोकसभा की कुल 129 सीटें हैं, जिनमें से 21 बीजेपी के पास हैं. कर्नाटक की 17 अलग कर दें तो बाक़ी 101 में से 4 सीटें उसके पास हैं. यानी दक्षिण में सम्भावनाओं का बड़ा सागर है.
दीन दयाल उपाध्याय सन 1967 में कोझीकोड में ही जनसंघ के अध्यक्ष बने थे. जनसंघ और बाद में भारतीय जनता पार्टी के वैचारिक आधार को दीन दयाल उपाध्याय ने परिभाषित किया था. उपाध्याय जी के अध्यक्ष बनने का पचासवाँ साल होने के अलावा यह उनका शताब्दी वर्ष है.
उन्हें याद करने के लिए पार्टी को कोझीकोड उपयुक्त जगह लगी. पर ज़्यादा महत्वपूर्ण है केरल जहाँ इस साल पहली बार पार्टी ने विधानसभा में प्रवेश किया है. इस एक सीट से ज्यादा महत्वपूर्ण है 10.53 फ़ीसदी का वोट शेयर.
इस वक्त हर तरफ़ पाकिस्तान की चचा है, ज़ाहिर है वहां भी, पर राष्ट्रीय परिषद में राजनीतिक और आर्थिक सवाल ज्यादा महत्वपूर्ण होंगे. पार्टी का ध्यान उत्तर प्रदेश पर हैं, जहाँ वह दलितों के एक हिस्से को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है.

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