पाँच राज्यों के विधान सभा चुनाव का दौर तकरीबन पूरा हो गया है. अब सिर्फ दिल्ली का चुनाव बचा है. चुनाव अगर खेल का मैदान हो तो इसे फाइनल और सेमी फाइनल की शब्दावली में बाँधने की कोशिश भी होती है. इस बार के चुनाव को इस रूपक से भी जोड़ा गया है. हरेक चुनाव कुछ न कुछ नया देकर जाता है. मिजोरम हो या राजस्थान चुनाव प्रक्रिया हमारे समाज पर गहरा असर छोड़कर जाती है. चुनाव अब हमारी संस्कृति का हिस्सा है. इस बार छत्तीसगढ़ में भारी मतदान ने साबित किया कि मुख्य धारा की राजनीति यदि नागरिकों के सबसे नीचे के तबकों से खुद को जोड़ेगी तो बदले में उसे जबरदस्त समर्थन मिलेगा. इन नागरिकों को कुछ बंदूकधारियों ने अपनी धारणाओं से प्रभावित किया था. यह प्रभाव अनायास नहीं था. उसके कारण भी थे. चुनाव के कारण यह बात भी सामने आई कि किस तरह हमारी विकास-नीति ने जनजातियों की अनदेखी की है. एक गलतफहमी यह है कि चुनाव पाँच साल बाद लगने वाला मेला है. वस्तुतः यह हमारे दैनिक जीवन को प्रभावित करने वाली प्रक्रिया है. इसलिए चुनाव हो जाने के बाद भी नागरिक या उसके प्रतिनिधियों का रिश्ता टूटना नहीं चाहिए. यह रिश्ता किस तरह बना रहेगा, इसपर विचार-मनन चल ही रहा है. इस चुनाव में नोटा बटन की शुरुआत हुई है. यह शुरुआत मात्र है. इसका व्यवहारिक मतलब अभी कुछ नहीं है, पर कुछ साल बाद यह बटन किसी और बटन का मार्ग-दर्शक बनेगा.
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए दिल्ली विधानसभा का चुनाव ओपीनियन पोल का काम करेगा. कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए.
दिल्ली एक बेहतरीन बैरोमीटर बनता, पर ‘आप’ ने एंटी क्लाइमैक्स तैयार कर दिया है.
अंदेशा है कि दिल्ली का वोटर त्रिशंकु विधानसभा चुनकर दे सकता है. ऐसा हुआ तो ‘आप’ के सामने बड़ा धर्मसंकट पैदा होगा. यह उस धर्मसंकट का ट्रेलर भी होगा, जो 2014 के लोकसभा परिणामों के बाद जन्म ले सकता है.
दिल्ली से उठने वाली हवा के झोंके पूरे देश को प्रभावित करते हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सातों संसदीय सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी जीते थे.
इनमें कपिल सिब्बल, अजय माकन, कृष्णा तीरथ और संदीप दीक्षित की राष्ट्रीय पहचान है. यहाँ होने वाली राजनीतिक हार या जीत के चाहे व्यावहारिक रूप से कोई मायने न हों पर प्रतीकात्मक अर्थ गहरा होता है.
पिछले कुछ साल में देश के शहरी नौजवानों के आंदोलनों को सबसे अच्छा हवा-पानी दिल्ली में ही मिला. राजधानी होने के नाते दिल्ली इस आयु और आय वर्ग का बेहतरीन नमूना है.