युसुफ रजा गिलानी ने सीनेट की सीट जीतकर तहलका मचाया |
सीनेट चुनाव में हार के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने वहाँ की राष्ट्रीय असेम्बली में विश्वासमत हासिल कर लिया है। शनिवार को हुए मतदान में उनके पक्ष में 178 वोट पड़े, जबकि विरोधी दलों ने मतदान का बहिष्कार किया। इमरान और उनकी पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ की निगाहें उन नेताओं पर रहीं जिन पर सीनेट चुनाव में पार्टी का साथ छोड़ विपक्ष का दामन थामने का आरोप लगाया गया था। जब वोट पड़े तो सरकार को आसानी से बहुमत मिल गया।
इस जीत से इमरान सरकार बच तो गई है, पर ऐसा लग रहा है कि सेना ने खुद को तटस्थ बना लिया है। यों विश्वासमत के दो दिन पहले गुरुवार को इमरान देश के सेनाध्यक्ष और आईएसआई के प्रमुख से मिले थे। उसके बाद उन्होंने विश्वासमत हासिल करने की घोषणा की। विरोधी दल जानते हैं कि पीटीआई के पास अभी बहुमत है। उनकी लड़ाई सड़क पर चल रही है। देश पर छाया आर्थिक संकट अभी टला नहीं है। विदेश-नीति में भी इमरान को विशेष सफलता मिली नहीं है। सरकार के पास वैक्सीन खरीदने तक का पैसा नहीं है। उसकी अलोकप्रियता बढ़ती जा रही है।
हाल में हुए सीनेट के चुनाव में
सरकार के वित्तमंत्री हफीज़ शेख विपक्ष के उम्मीदवार युसुफ रज़ा गिलानी से हार गए
थे जिसके बाद सरकार से इस्तीफे की मांग उठने लगी। इस पर सरकार ने विश्वास मत साबित
करने का ऐलान किया। देश के राष्ट्रपति डॉ आरिफ अल्वी ने शनिवार को 12:15 बजे इसके
लिए सत्र बुलाया जिसका विपक्ष ने बहिष्कार किया।
इस दौरान विपक्ष
के नेता संसद के बाहर प्रेस को ब्रीफिंग दे रहे थे जब सरकार के समर्थकों ने
नारेबाजी शुरू कर दी और माहौल अचानक गर्म होने लगा। संसद के बाहर मौजूद पार्टी के
समर्थकों ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नून) के नेताओं के साथ बदसलूकी भी की और पूर्व
प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी को दौड़ा लिया।
पाकिस्तानी संसद
में कुल 342 सीटें हैं लेकिन एक सीट खाली होने के कारण कुल 341 सीटों में से बहुमत
साबित करने के लिए इमरान की सरकार को 171 वोट चाहिए थे। सरकार के पास इस वक्त 178
सीटें हैं और विपक्ष के पास 160। पार्टी और गठबंधन दलों की बैठक में 179 नेता
पहुंचे भी थे। बावजूद इसके इमरान ने सीनेट में मिले 'धोखे' से सावधान होते हुए ह्विप जारी किया था और पार्टी के सांसदों को पार्टी लाइन
पर ही वोट डालने के लिए कहा गया था।
सीनेट के चुनाव
में अपने प्रत्याशी की हार के बाद इमरान ख़ान ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि
उनकी तहरीके इंसाफ़ पार्टी के कुछ सांसदों को विपक्ष ने रिश्वत देकर पूर्व
प्रधानमंत्री युसुफ रज़ा गिलानी को वोट देने के लिए राज़ी कर लिया था और इस वजह से
उनके वित्त मंत्री अब्दुल हफ़ीज़ शेख़ की हार हुई है। इमरान खान ने इस सिलसिले में
देश के चुनाव आयोग पर गड़बड़ियों की अनदेखी करने का आरोप भी लगाया है।
सीनेट के चुनावों
में संसद के निचले सदन, नेशनल असेंबली
के सदस्य और चार प्रांतीय असेम्बलियों के सदस्य वोट देते हैं। यह वोटिंग पिछले
बुधवार यानी 3 फरवरी को हुई थी। इस हार के बाद सवाल पैदा हुआ कि इमरान ख़ान के पास
सदन में बहुमत है भी या नहीं? सीनेट संसद का ऊपरी सदन होता है। इस चुनाव में गिलानी को 169 वोट मिले, जबकि हफ़ीज़ शेख़ को 164।
No comments:
Post a Comment