चीनी साम्राज्यवाद |
हाल में अमेरिकी सांसदों के एक शिष्टमंडल ने तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा से धर्मशाला स्थित मुख्यालय में जाकर मुलाकात की थी, जिसे लेकर चीन सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
अमेरिका की ओर से तिब्बत को लेकर ऐसी
गतिविधियाँ पहले भी चलती रही हैं, पर भारत में पहली बार इतने बड़े स्तर पर ऐसा
संभव हुआ है. इससे भारत की तिब्बत-नीति में बदलाव के संकेत भी देखे जा रहे हैं, पर
ऐसा भी लगता है कि किसी स्तर पर असमंजस भी है.
उदाहरण के लिए 2016 में सरकार ने चीनी
असंतुष्टों के एक सम्मेलन की अनुमति दी, जिसमें दुनिया
भर से वीगुर और तिब्बती नेताओं को आमंत्रित किया गया, लेकिन
अंतिम समय में उनके वीज़ा रद्द कर दिए गए.
इसके बाद 2019 में दलाई लामा के भारत आगमन की
60वीं वर्षगाँठ के मौके पर कई कार्यक्रमों की योजना बनाई गई, पर एक सरकारी-परिपत्र
के मार्फत अधिकारियों से कहा गया कि वे इसमें भाग न लें. दलाई लामा की राजघाट
यात्रा सहित अन्य कार्यक्रमों को रद्द करना पड़ा.
इसके बाद 2020 में भाजपा नेता राम माधव ने भारतीय सेना के तहत प्रशिक्षित तिब्बती स्पेशल फ्रंटियर फोर्स के एक सैनिक के अंतिम संस्कार में सार्वजनिक रूप से भाग लिया, लेकिन बाद में उन्होंने उससे जुड़े अपने ट्वीट को डिलीट कर दिया.