कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीसी चाको ने पार्टी से नाता तोड़कर कांग्रेस पार्टी की आंतरिक राजनीति को चौराहे पर खड़ा कर दिया है। ऐसा नहीं है कि इस इस्तीफे से केरल में पार्टी की गुटबंदी खत्म हो जाएगा, पर इतना जरूर है कि केंद्रीय नेतृत्व का ध्यान इस ओर जाएगा। चाको ने कहा है कि पार्टी लगातार कमजोर होती जा रही है। इसके पीछे कोई और नहीं, खुद पार्टी है।
पीसी चाको ने अपना
इस्तीफा पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा। केरल में 6 अप्रैल को होने जा रहे विधानसभा चुनाव से
पहले इस इस्तीफे से पार्टी की संभावनाओं पर भी असर पड़ेगा। यों भी माना जा रहा है
कि इसबार वाममोर्चे की सरकार बनने जा रही है, जो केरल की राजनीति में एक नई बात
होगी। अभी तक का चलन था कि एकबार वामपंथी सरकार बनती थी, तो उसके बाद कांग्रेसी।
पर इसबार शायद वामपंथी सरकार लगातार दूसरी बार बनेगी।
चाको ने केरल में
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं रमेश चेन्नीथला और ओमान चैंडी और उनके दो गुटों पर
निशाना साधा। उन्होंने कहा कि दोनों नेता हमेशा सीटें और संगठन के बाद आपस में
बांट लेते हैं। केरल में केवल उन नेताओं का भविष्य है जो इनमें से किसी ग्रुप का
हिस्सा हैं, अन्य को हमेशा
दरकिनार कर दिया जाता है। मैं हाईकमान से कहता रहा हूं कि इस पर रोक लगनी चाहिए,
लेकिन आलाकमान भी इन समूहों के दिए
प्रस्तावों से सहमत है।''
चाको ने पार्टी के भीतर ग्रुप-23 का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा, नेताओं ने मुझसे भी सम्पर्क साधा था, पर मैं किसी पत्र-अभियान के पक्ष में नहीं था। अलबत्ता मैं पत्र में उठाए गए सवालों से सहमत था। अफसोस की बात है कि पार्टी पिछले डेढ़ साल में अपने लिए अध्यक्ष नहीं खोज पाई।
चाको पिछले साल से
ही पार्टी से असंतुष्ट चल रहे थे। वे राहुल गांधी को अध्यक्ष की कुर्सी पर देखना
चाहते थे और कई बार उन्होंने खुलकर कहा कि राहुल गांधी की ओर से जिम्मेदारी नहीं
संभाले जाने की वजह से पार्टी को नुकसान हो रहा है। उन्होंने इस्तीफे की जानकारी
देते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, ''एक ईमानदार कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए सर्वाइव करना
बहुत मुश्किल हो गया है। मैरिट कोई चिंता की बात नहीं है।'' उन्होंने कहा कि कांग्रेस बिना पतवार की नाव है और
एक साल से अधिक समय तक पार्टी अध्यक्ष नहीं मिल पाया।
उन्होंने कहा,
'मैं पिछले कई दिनों से इस फैसले पर
विचार-विमर्श कर रहा था। मैं केरल से आता हूं जहां कांग्रेस पार्टी नाम की चीज
नहीं है। वहां दो पार्टियां हैं- कांग्रेस (I) और कांग्रेस (A)। दो पार्टियों की कोऑर्डिनेशन कमेटी केपीसीसी के
रूप में काम कर रही है।'
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