अफगानिस्तान में तालिबान ने 19 अगस्त को अपनी विजय की तीसरी और स्वतंत्रता की 105वीं वर्षगाँठ मनाई. दोनों समारोहों की तुलना में ज्यादा सुर्खियाँ एक तीसरी खबर को मिलीं.
तालिबान ने 21 अगस्त को 35 अनुच्छेदों वाले एक नए
कानून की घोषणा की है, जिसमें शरिया की
उनकी कठोर व्याख्या के आधार पर जीवन से जुड़े कार्य-व्यवहार और जीवनशैली पर प्रतिबंधों
का विवरण है. नए क़ानून को सर्वोच्च नेता हिबातुल्ला अखुंदज़ादा ने मंज़ूरी दी है,
जिसे लागू करने की ज़िम्मेदारी नैतिकता मंत्रालय की है.
दुनियाभर में आलोचना के बावजूद अफगानिस्तान के
शासक इन नियमों को उचित बता रहे हैं. तालिबान सरकार के मुख्य प्रवक्ता जबीहुल्ला
मुजाहिद ने एक बयान में उन लोगों के ‘अहंकार’ के
खिलाफ चेतावनी दी है, जो इस्लामी शरिया से परिचित नहीं हैं,
फिर भी आपत्ति व्यक्त कर रहे हैं.
वे मानते हैं कि बिना समझ के इन कानूनों को अस्वीकार करना, अहंकार है. दूसरी तरफ मुस्लिम देशों के संगठन ओआईसी तक का विचार है कि अफगानिस्तान में मानवाधिकारों और स्त्रियों के अधिकारों की रक्षा की जरूरत है.