एबीपी ने शुक्रवार की शाम उत्तर प्रदेश, पंजाब और गोवा समेत पांच चुनावी राज्यों की सम्भावनाओं पर सी-वोटर के सर्वेक्षण को प्रसारित किया। सर्वेक्षण के अनुसार यूपी चुनाव में सबसे ज्यादा सीटों के साथ बीजेपी फिर सरकार बना सकती है। सी-वोटर का दावा है कि इस सर्वे में 98 हजार से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। सर्वे 4 सितंबर से 4 अक्तूबर के बीच किया गया। इसमें मार्जिन ऑफ एरर प्लस माइनस तीन से प्लस माइनस पांच फीसदी है।
सर्वेक्षण के अनुसार उत्तर प्रदेश विधानसभा
चुनाव में बीजेपी के खाते में 241 से 249 सीटें जा सकती है। समाजवादी पार्टी के
हिस्से में 130 से 138
सीटें आएंगी, बीएसपी 15 से 19 के
बीच और कांग्रेस 3 से 7
सीटों के बीच सिमट सकती है। सर्वे के
मुताबिक, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 41 फीसदी, समाजवादी पार्टी को 32 फीसदी, बहुजन समाज पार्टी को 15 फीसदी, कांग्रेस को 6
फीसदी और अन्य के खाते में 6 फीसदी वोट जा सकते हैं।
माहौल बनाने की कोशिश
इस सर्वेक्षण के आधार पर उत्तर प्रदेश से जुड़े
नतीजों को जब मैंने फेसबुक पर डाला, तो तीन तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आईं। कुछ
लोगों ने इसे सही बताया और कहा कि बीजेपी इससे भी बेहतर प्रदर्शन करेगी। इसके
विपरीत कुछ लोगों का कहना था कि जैसा बंगाल में हुआ बीजेपी बुरी तरह हारेगी। आमतौर
पर ऐसा होता भी है।
कुछ लोगों का कहना था कि गोदी मीडिया की तरफ से
यह सर्वे बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने के लिए है। एक ने लिखा कि यह सर्वे
सी-वोटर ने किया है, इससे आप खुद निष्कर्ष निकाल लीजिए। यह सच है कि सी-वोटर के
संचालक यशवंत देशमुख का परिवार अर्से से बीजेपी के साथ जुड़ा रहा है, पर हाल में
बंगाल में हुए चुनाव के पहले हुए सर्वे में सी-वोटर उन कुछ सर्वेक्षकों में शामिल
था, जो तृणमूल की विजय सुनिश्चित कर रहे थे। जबकि काफी सर्वे बीजेपी को जिता रहे
थे।
सी-वोटर ने बंगाल के चुनाव में टाइम्स नाउ के
लिए चुनाव-पूर्व सर्वे और एबीपी के लिए एग्जिट पोल किया था। बहरहाल चुनाव-पूर्व सर्वेक्षणों
और एग्जिट पोल की साख हमारे देश में काफी कम है। एग्जिट पोल को कुछ हद तक मान भी
लिया जाता है, पर चुनाव-पूर्व सर्वेक्षणों पर कोई विश्वास नहीं करता। बहरहाल उत्तर
प्रदेश को लेकर कई तरह के कयास हैं। चुनाव अभी चार-पाँच महीने दूर हैं, इसलिए कोई
निर्णायक बात अभी नहीं कही जा सकती है। इस सर्वेक्षण के नतीजों को याद रखा जाना
चाहिए, और परिणाम आने के बाद मिलान करना चाहिए।
एबीपी की साख
एबीपी चैनल कोलकाता के आनन्द बाजार पत्रिका
समूह से जुड़ा है, जिसका अंग्रेजी अखबार मोदी-विरोधी कवरेज के लिए प्रसिद्ध है। अलबत्ता
हिन्दी चैनल को लेकर प्रेक्षकों की राय अलग है। सन 2018 में एबीपी न्यूज चैनल के
तीन वरिष्ठ सदस्यों को इस्तीफे देने पड़े। इन तीन में से पुण्य प्रसून वाजपेयी ने
बाद में एक वैबसाइट में लेख लिखा, जिसमें उस घटनाक्रम का विस्तार से
विवरण दिया, जिसमें उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इस विवरण में
एबीपी न्यूज़ के प्रोपराइटर के साथ, जो एडिटर-इन-चीफ
भी हैं उनके एक संवाद के कुछ अंश भी थे।
संवाद का निष्कर्ष था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की व्यक्तिगत आलोचना से उन्हें बचना चाहिए। इस सिलसिले में ज्यादातर बातें पुण्य प्रसून की ओर से या उनके पक्षधरों की ओर से सामने आई थीं। चैनल के मालिकों और प्रबंधकों ने कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं किया।
लखीमपुर खीरी का असर
यूपी में सर्वे को लेकर सी-वोटर के डायरेक्टर
यशवंत देशमुख ने कहा कि 3 सितंबर को पिछला सर्वे आया था,
लेकिन 4 अक्टूबर को घटना होने के बाद सर्वे
किया गया। इस दौरान यह जानने का प्रयास किया गया कि लखीमपुर खीरी का कितना असर
पड़ा है। उन्होंने कहा कि यह रिएक्शन जरूर लोगों पर पड़ा है।
लोगों ने अपने-अपने विलेन और हीरो को तय कर लिए
हैं। इस घटना के बाद ध्रुवीकरण की राजनीति यूपी में बढ़ सकती है और बीजेपी-विरोधी
वोट बीएसपी में शिफ्ट हो सकते हैं, बशर्ते कांग्रेस का कैंपेन उतना तेज न चले। अगर
कांग्रेस का कैंपेन तेज होगा तो मुस्लिम वोटर उनके पास जाएंगे।
सर्वे के दौरान जब जनता से यह सवाल किया गया कि
किसान आंदोलन को लेकर सही कौन है? इसके जवाब में 59
फीसदी ने कहा कि किसान सही है, जबकि 41
फीसदी ने सरकार को सही बताया है।
बीजेपी का ख्वाब
इस सर्वे को लेकर टीवी पर चर्चा के दौरान समाजवादी
पार्टी प्रवक्ता घनश्याम तिवारी ने कहा कि जिस सरकार ने केन्द्र के स्तर पर दहशत
फैला रखी है, ऐसे समय में अगर बीजेपी ख्वाब देख रही है कि वे
चुनाव जीतेंगे तो वहीं अधूरे ही ख्वाब रहेंगे। उन्होंने कहा कि अजय मिश्रा को
बर्खास्त नहीं किया गया और उनका बेटा आशीष मिश्रा चैन की नींद सो रहे हैं।
जब लोगों सवाल किया गया कि क्या राजा महेन्द्र
प्रताप यूनिवर्सिटी बनाकर जाटों का दिल जीता गया? इस
के जवाब में 55 फीसदी लोगों ने हां कहा जबकि 45 फीसदी लोगों ने नहीं में जवाब दिया है। अगला सवाल किया गया कि क्या
राम मंदिर चुनाव का बड़ा मुद्दा होगा? इसके जवाब में 61 फीसदी लोगों ने कहा कि हां बड़ा मुद्दा होगा, जबकि 39 फीसदी ने कहा कि बड़ा मुद्दा नहीं होगा।
बीएसपी के प्रवक्ता एमएच खान ने कहा समाजवादी
पार्टी के पास सिर्फ साढ़े छह फीसदी है जबकि बीएसपी के पास 23 फीसदी वोट है। उन्होंने कहा वे इस सर्वे को नहीं मानते हैं। बीएसपी
प्रवक्ता ने कहा, बीजेपी यह दिखाने का प्रयास कर रही है कि उसका मुकाबला एसपी के
साथ है, लेकिन हकीकत है कि राज्य में बीएसपी की सरकार पूर्ण बहुमत के साथ आ रही है।
कानून-व्यवस्था
सर्वे के दौरान जब जनता से यह पूछा गया कि क्या
यूपी में कानून-व्यवस्था पिछले कुछ दिनों में खराब हुई है? इसके
जवाब में 63 ने हां कहा जबकि 37
फीसदी ने नहीं में जवाब दिया।
जब यह सवाल लोगों से किया गया कि क्या लखीमपुर
कांड से यूपी सरकार की छवि को नुकसान हुआ? तो इसके जवाब
में 70 फीसदी लोगों ने कहा कि हां नुकसान हुआ है जबकि
30 फीसदी ने कहा कि कोई नुकसान नहीं पहुंचा
है.
जब यह सवाल किया गया कि क्या लखीमपुर कांड से
बीजेपी की छवि को नुकसान पहुंचा है? इसके जवाब में 60 फीसदी लोगों ने कहा कि हां बीजेपी को नुकसान पहुंचा है जबकि 40 फीसदी ने कहा कि इसका कोई नुकसान नहीं हुआ है.
सी वोटर सर्वे के दौरा जब लोगों से यह सवाल
किया गया कि क्या चुनाव की वजह से लखीमपुर खीरी मुद्दे को विपक्ष हवा देने की
कोशिश कर रहा है? इसके जवाब में 58
फीसदी लोगों ने इसका जवाब हां में दिया, जबकि 42 फीसदी ने इसका जवाब नहीं में दिया।
सर्वे में सवाल किया गया कि लखीमपुर हिंसा की
वजह अजय मिश्रा का बयान है? इसके जवाब में 61 फीसदी
लोगों हां कहा जबकि 39 फीसदी लोगों ने ना में जवाब दिया।
गोवा में बीजेपी
सी वोटर सर्वे के मुताबिक, गोवा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 38
फीसदी वोट आ सकते हैं, जबकि कांग्रेस के खाते में 18
फीसदी, आम आदमी पार्टी को 23
फीसदी और अन्य को 21 फीसदी वोट हासिल हो सकते हैं। अगर
सीटों के लिहाज से देखें तो बीजेपी 24 से 28 सीटें, कांग्रेस के खाते में 1 से 5 सीटें, आम
आदमी पार्टी के खाते में 3 से 7
सीट और अन्य के पास 4 से 8
सीटें जा सकती है।
मणिपुर
सर्वे के मुताबिक, मणिपुर
में बीजेपी को 36 फीसदी वोट मिल सकते हैं, जबकि कांग्रेस के खाते में 34 फीसदी। एनपीएफ
को 9 फीसदी और अन्य के खाते में 21 फीसदी वोट जा सकते हैं। राज्य में कुल 60
विधानसभा की सीटें हैं। राज्य में
त्रिशंकु विधानसभा के आसार बन सकते हैं। सीटों के लिहाज से अगर देखें तो मणिपुर
में बीजेपी को 21-25 सीटें, कांग्रेस
को 18 से 22 सीटें, एनपीएफ को 4 से 8
सीटें और अन्य को 1 से 5
सीटें मिल सकती है।
उत्तराखंड
उत्तराखंड में सीएम के लिए पहली पसंद कौन हैं?
इस सवाल के जवाब में सर्वे के दौरान पता चला कि 37 फीसदी लोग हरीश रावत को पसंद कर रहे हैं। पुष्कर सिंह धामी को 24 फीसदी पसंद कर रहे हैं। कर्नल कोठियाल को 10
फीसदी, सतपाल महाराज को 1
फीसदी और अन्य को 9 फीसदी पसंद कर रहे हैं।
उत्तराखंड की जनता का मूड भांपकर अनुमान लगाया
गया है कि राज्य में कांग्रेस को 21 से 25
सीटें मिल सकती है। भारतीय जनता पार्टी को 42 से
46 सीटें जबकि आम आदमी पार्टी को 0 से 4 सीटें और अन्य को 0 से 2 सीटें मिल सकती है। कांग्रेस को 34 फीसदी, बीजेपी को 45
फीसदी, आम आदमी पार्टी को 15
फीसदी और अन्य को 6 फीसदी वोट मिल सकते हैं।
उत्तराखंड के मतदाताओं से जब यह पूछा गया कि जो
जमीन कानून लाया गया है, इसका राज्य विधानसभा चुनाव पर कितना
असर पड़ेगा? इसके जवाब में सर्वे के दौरान पचास फीसदी ने
हां और 50 फीसदी ने नहीं में जवाब दिया।
देवथानम बोर्ड का मुद्दा क्या उत्तराखंड चुनाव
को प्रभावित करेगा? यह सवाल सी-वोटर की तरफ से सर्वे के
दौरान किया गया तो इसके जवाब में 52 फीसदी ने हां में जवाब दिया जबकि 48 फीसदी ने नहीं में जवाब दिया।
मतदाताओं से जब यह पूछा गया कि फ्री बिजली के
वायदे का राज्य की चुनाव पर कितना असर पड़ेगा? इसके
जवाब में 33 फीसदी लोगों ने कहा कि फ्री बिजली-पानी से कोई
असर नहीं पड़ने वाला है, जबकि 67
फीसदी ने कहा कि चुनाव में इसका असर पड़ेगा।
जब यह पूछा गया कि क्या बार-बार मुख्यमंत्री
बदलने से पार्टी को फायदा होगा? जवाब में 33
फीसदी लोगों ने हां और 67 फीसदी लोगों ने नहीं में जवाब दिया।
पंजाब में आप
पंजाब में कांग्रेस ने सीएम को बदल दिया है। अब
सवाल है कि क्या कांग्रेस के इस कदम से राज्य में पार्टी को फायदा होगा? सर्वे में इसको लेकर पूछे गए सवाल पर 54
फीसदी लोगों ने कहा कि हां कांग्रेस को कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने का फायदा
होगा, जबकि 46 फीसदी लोगों का
मानना है कि कोई फायदा नहीं होगा।
सर्वे के अनुसार 117
विधानसभा सीटों वाले पंजाब में इस बार आप सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है।
सर्वे में आप को 49-55 सीटें मिलती नज़र आ रही है, जबकि कांग्रेस को 39-47 सीटें, अकाली दल को 17-25 सीटें, बीजेपी को 0-1
सीटें और अन्य को 0-1 सीटें मिल सकती हैं।
पंजाब में वोट प्रतिशत के मामले में सर्वे में
आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है। आप को सर्वे में 36 फीसदी वोट मिले हैं, कांग्रेस को 32
फीसदी, अकाली दल को 22%, बीजेपी
को 4 फीसदी और अन्य को 6%
वोट मिलते नज़र आ रहे हैं।
मुख्यमंत्री चन्नी?
क्या पंजाब के सीएम के लिए चरणजीत सिंह चन्नी
सही पसंद हैं ? इस सवाल पर 60
फीसदी लोगों ने सर्वे में हां में जवाब दिया जबकि 40
फीसदी लोगों ने कहा कि चन्नी सही पसंद नहीं हैं।
क्या पंजाब में सीएम बदलकर कांग्रेस ने सही
किया? सर्वे में इस सवाल पर 59
फीसदी लोगों ने हां में जवाब दिया, जबकि 41
फीसदी लोगों का मानना था कि सीएम बदलने का कांग्रेस का फैसला सही नहीं था।
यह सर्वे कितने निष्पक्ष होते हैं कहना कठिन है, और मुझे तो इस पर भी संदेह है कि सर्वे के समय वोटर अपने मन की बात सच्चाई से बताते भी या नहीं.
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