Friday, June 11, 2021

अब राजस्थान में कांग्रेसी अंतर्विरोध की लहरें

 


कांग्रेस हाईकमान के आंतरिक अंतर्विरोध फिर से मुखर हो रहे हैं। पिछले साल मध्य प्रदेश उठी लहरें अब राजस्थान में उछाल मार रही हैं। जितिन प्रसाद के फैसले से राजस्थान के सचिन पायलट खेमे का हौसला बढ़ा है। आज सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि है। पिछले साल उनकी पुण्यतिथि से पैदा हुआ असंतोष फिर से सिर उठा रहा है। यह आक्रोश किस हद तक जाएगा, इसका पता जल्द ही लगेगा।

हालांकि सचिन पायलट ने दौसा के कार्यक्रम में शामिल नहीं होने की घोषणा की है, पर किसी तनाव खत्म हुआ नहीं है। मौके की नजाकत को देखते हुए पार्टी हाईकमान ने अजय माकन, रणदीप सुरजेवाला और राजस्थान के प्रभारी अविनाश पांडेय को जयपुर भेजा है। एक आशंका है कि कुछ विधायक इस दौरान इस्तीफा देंगे।

हाईकमान के सूत्र कह रहे हैं कि कोई बगावत राजस्थान में नहीं है। मंत्रिमंडल में खाली पड़े नौ पदों को जल्दी ही भरा जाएगा। इतने पदों के लिए करीब 35 दावेदार बताए जा रहे हैं। सवाल है कि क्या ये पद पायलट-समर्थकों को मिलेंगे? अशोक गहलोत सरकार को बहुमत प्राप्त करने के लिए बसपा और निर्दलीय विधायकों का समर्थन लिया गया था। उन्हें भी जगह देनी है।

हाईकमान को भरोसा है कि मंत्रिमंडल के अलावा कॉरपोरेशन अध्यक्षों और संसदीय सचिव जैसे पदों की व्यवस्था भी की जाएगी। सवाल यह भी है कि सचिन पायलट के लिए भी कोई उपयुक्त पद बनाया जाएगा? सचिन के समर्थन में 30 के आसपास विधायक बताए जाते हैं। कुछ निर्दलीय विधायक भी उनके समर्थन में आ सकते हैं। दावा किया जा रहा है कि 30 में से करीब 12-15 विधायक किसी भी वक्त इस्तीफा दे सकते हैं।

पिछले एक साल से पायलट-समर्थक खामोश बैठे हैं। पार्टी हाईकमान पंजाब में एक रास्ते पर है और राजस्थान में दूसरे रास्ते पर। पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू को हाईकमान का परोक्ष समर्थन है। मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट है कि राज्य में वैकल्पिक नेतृत्व तैयार होना चाहिए, वहीं राजस्थान में दस महीने पहले बनी सुलह समिति अभी तक कोई फैसला नहीं कर पाई है।

सचिन पायलट का कद नवजोत सिंह सिद्धू के मुकाबले कहीं बड़ा है, पर पार्टी उनकी अनदेखी को तैयार है। अब जितिन प्रसाद के फैसले के बाद पायलट समर्थकों के हौसले बढ़े हैं। पिछले दो दिन से चल रही हलचल किसी भी वक्त कोई बड़ा रूप ले सकती है। पायलट समर्थकों ने कहना शुरू किया है कि पंजाब में वैकल्पिक नेतृत्व का फैसला दस दिन में हो गया और राजस्थान में मसला दस महीनों से दबा पड़ा है।  

गुरुवार को पायलट के घर पर आठ विधायकों की बैठक के बाद उनके कुछ समर्थक विधायकों ने कहा, पंजाब के असंतोष का हल 10 दिन में निकल सकता है तो हमारा क्यों नहीं? मीडिया रिपोर्टों के अनुसार पायलट समर्थक विधायक मुकेश भाकर और रामनिवास गावड़िया आदि ने कहा कि आलाकमान को हमारी भी सुननी चाहिए। पिछले महीने एक विधायक ने इस्तीफा दिया था। एक और ने अब धमकी दी है। पर ज्यादा बड़ा अंदेशा इस बात का है कि विधायक सामूहिक इस्तीफा दे सकते हैं।

राजस्थान की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भेजी गई हाईकमान की टीम के सदस्य अविनाश पांडेय ने दिल्ली से रवाना होते समय काफी विश्वास के साथ कहा था कि सरकार को कोई खतरा नहीं है। जयपुर पहुँचने के बाद उनके स्वर धीमे पड़ गए। अब वे कह रहे हैं कि बीजेपी ने कांग्रेस पर आक्रमण कर दिया है। इस मुश्किल घड़ी में हमें आपसी बातचीत से बातों को सुलझाना होगा। दूसरी तरफ कहा जा रहा है कि पायलट ने उनसे बात नहीं की है। अगले चौबीस घंटे महत्वपूर्ण हैं। देखें होता क्या है।

पाञ्चजन्य में प्रकाशित

    

 

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