सम्भव है कि कांग्रेस के पास भविष्य की कोई रणनीति हो, पर वह कम से कम मुझे नजर नहीं आ रही है। पंजाब में जिस तरीके से नवजोत सिंह सिद्धू को स्थापित करने की कोशिश की जा रही है और उसका प्रचार भी जोर-शोर से किया जा रहा है, उससे नेतृत्व की नासमझी ही दिखाई पड़ रही है। वह भी चुनाव के ठीक पहले। पार्टी यदि सिद्धू के नेतृत्व में चुनाव लड़ना चाहती है, तो उसे इसे स्पष्ट करना चाहिए और खुलकर सामने आना चाहिए। इस तरीके से तो न तो कैप्टेन अमरिंदर सिंह का भला होगा और न सिद्धू को कुछ मिलेगा। हाँ, यह हो सकता है कि यह पंछी उड़कर किसी और जहाज पर जाकर न बैठ जाए।
कुछ दिन पहले अमरिंदर सिंह दिल्ली आए और दो दिन यहाँ रहे। उनकी मुलाकात गांधी परिवार के किसी से नहीं हो पाई, तो उसमें विस्मय की बात नहीं थी। पर सिद्धू के साथ 30 जून को पहले प्रियंका गांधी के साथ और शाम को राहुल गांधी के साथ हुई मुलाकातें और फिर उसका प्रचार साफ बता रहा है कि हाईकमान के सोच की दिशा क्या है। हाल में पार्टी की तरफ से पार्टी के पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने कहा था कि पार्टी अध्यक्ष जुलाई के पहले या दूसरे हफ्ते तक इस मामले में कोई फैसला करेंगी। अलबत्ता पार्टी ने मुख्यमंत्री से 18 मामलों पर काम करने को कहा है। मुख्यमंत्री इस विषय पर प्रेस कांफ्रेंस करके जानकारी देंगे।
दूसरी तरफ हाईकमान ने सिद्धू के हाल के बयानों को लेकर भी अपनी अप्रसन्नता
व्यक्त की है। मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में बनी तीन सदस्यीय समिति ने सिद्धू
को दिल्ली बुलाया है और अपनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। सूत्रों का कहना है कि
पार्टी के पैनल ने अमरिंदर सिंह को ही 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए कैप्टन
बनाए रखने पर सहमति जताई है और उन्हें टीम चुनने के लिए फ्री-हैंड दिया है। पर यह
जानते हुए भी कि अमरिंदर सिंह को सिद्धू चुनौती दे रहे हैं और पार्टी दोनों पक्षों
को सुनने की प्रक्रिया चला रही है, इस तरह से सिद्धू को बढ़ावा देना समझ में नहीं
आता है।
पता नहीं कितना सच है, पर अमरिंदर सिंह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश
बघेल को लेकर चिमगोइयाँ शुरू हो गई हैं। कांग्रेस पार्टी ने अतीत में अरुणाचल और
असम में इस किस्म की गलतियाँ की हैं। पार्टी के साहस की दाद देनी होगी। यूपी में
जितिन प्रसाद ने हाल में पार्टी छोड़ी है। राजस्थान में सचिन पायलट एक पैर बाहर
करके बैठे हैं और वहाँ किसी किस्म का हस्तक्षेप नहीं हो रहा है, पर सिद्धू साहब को
इज्जत बख्शी जा रही है। हाल में एक खबर मीडिया-स्पेस में तैर रही थी कि पंजाब से मिलने आए असंतुष्ट नेताओं से पूछा कि कैप्टेन अमरिंदर को आगे न रखा जाए, तो
क्या होगा?
अमरिंदर सिंह को जिस तरह से समिति के सामने पेश होकर सफाई देनी पड़ी है,
उससे यह भी जाहिर होता है कि उनकी बातों पर बहुत भरोसा नहीं है। उन्होंने समिति के
सामने कुछ तथ्य रखे हैं, जिनकी अब पड़ताल होगी। अमरिंदर सिंह ने समिति से कहा है
कि सिद्धू पर लगाम लगाना जरूरी है, क्योंकि उनके बयानों से स्थिति बिगड़ रही है।
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