शहरी क्षेत्रों के विस्तार की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार आठ नए शहर विकसित करेगी। 15वें वित्त आयोग ने भी आठ राज्यों में आठ नए शहर बसाने के लिए आठ हजार करोड़ रुपये देने की सिफारिश की है। शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी कई मौकों पर कह चुके हैं कि 2030 तक देश की 40 फीसद आबादी के शहरों में निवास करने की संभावना है।
केंद्रीय आवास एवं
शहरी मामलों के सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने संवाददाताओं को बताया कि अपने तरह की इस
पहली परियोजना के क्रियान्वयन के लिए मंत्रालय जल्द ही विस्तृत रूपरेखा जारी
करेगा। यह पूछे जाने पर कि क्या ये शहर ग्रीनफील्ड परियोजना का हिस्सा होंगे,
तो मिश्र ने कहा, 'हां, हम नए शहर विकसित करने के बारे में एक
प्रणाली बनाएंगे…सरकार इसके लिए एक रूपरेखा तैयार करेगी, जिसमें छह महीने से एक साल तक का समय लग सकता है।'
देश में पिछले कई वर्षों से कोई भी नया शहर नहीं बसाया गया है। वित्त आयोग ने नए शहरों को बसाने के लिए आठ हजार करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। हर नए शहर के लिए एक हजार करोड़ रुपये होंगे। देश को नए शहरों की जरूरत है। जब तक हमारे पास नियोजित शहर नहीं होंगे, विकास के नतीजे नहीं मिलेंगे। मिश्र ने शहरों के बाहर के सटे इलाकों को विकसित किए जाने के भी संकेत दिए।
एक सूत्र ने बताया
कि जनगणना नगरों को इस परियोजना में शामिल किया जा सकता है, हालांकि, अभी इसको लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। मिश्र ने बताया कि जनगणना नगर वह क्षेत्र
है, जहां कि आबादी पांच हजार
से अधिक हो, आबादी का घनत्व
प्रति वर्ग किलोमीटर 400 से
ज्यादा हो और जहां के 75 फीसदी
पुरुष गैर-कृषि कार्यों में लगे हों।
पंद्रहवें वित्त
आयोग ने शहरी स्थानीय निकायों को लगभग 1.56 लाख करोड़ रुपये के अनुदान की सिफारिश की है। सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा ने कहा
कि वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए 12,139 करोड़ रुपये और पेयजल, सफाई
एवं ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 26,057 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि शहरी स्थानीय निकायों को 15वें वित्त आयोग द्वारा सिफारिश किए गए
अनुदान का लाभ उठाने के लिए राज्य के सकल घरेलू उत्पाद के अनुरूप संपत्ति कर
अधिसूचित करना होगा।
No comments:
Post a Comment