महाभियोग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद अमेरिकी राजनीति पटरी पर वापस आ रही है। डेमोक्रेट और रिपब्लिकन राजनेता भविष्य की योजनाएं तैयार कर रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप पर चलाए गए दूसरे महाभियोग की नाटकीय परिणति ने एक तो रिपब्लिकन पार्टी के भीतर एक किस्म की दरार पैदा कर दी है, साथ ही पार्टी और ट्रंप की भावी राजनीति को लेकर कुछ सवाल खड़े कर दिए हैं। सीनेट में हुए मतदान में रिपब्लिकन पार्टी के सात सदस्यों ने ट्रंप के खिलाफ वोट देकर इन सवालों को जन्म दिया है, पर इस बात की संभावनाएं बनी रह गई हैं कि राष्ट्रपति पद के अगले चुनाव में ट्रंप एकबार फिर से रिपब्लिकन पार्टी के प्रत्याशी बनकर खड़े हो सकते हैं। क्या उनकी वापसी होगी?
ट्रंप के फिर से
मैदान में उतरने की संभावनाएं हैं, तो यकीनन कुछ समय बाद से ही उनकी गतिविधियाँ शुरू हो जाएंगी। सीनेट के मतदान
में जहाँ डेमोक्रेटिक पार्टी के सभी सदस्य एकसाथ थे, वहीं रिपब्लिकन पार्टी की दरार को राजनीतिक पर्यवेक्षक
खासतौर से रेखांकित कर रहे हैं।
क्या जनता माफ
करेगी?
सीनेट में मेजॉरिटी लीडर और डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्य चक शूमर ने ट्रंप की आलोचना करते हुए कहा है कि अमेरिका के इतिहास में यह पहला मौका है, जब किसी राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग में इतनी बड़ी संख्या में उसकी अपनी पार्टी के सदस्यों ने वोट डाले हैं। यहाँ से वे बच निकले हैं, पर अमेरिकी जनता उन्हें माफ नहीं करेगी। अमेरिकी वोटर 6 जनवरी की घटना को भूलेगा नहीं। दूसरी तरफ इतनी विपरीत परिस्थितियों में रिपब्लिकन पार्टी के 43 सदस्यों ने ट्रंप को बचाने के लिए जो मतदान किया है, उससे लगता है कि पार्टी कमोबेश ट्रंप के साथ है। पार्टी के भीतर पैदा हुए मतभेद अब 2022 और 2024 के प्राइमरी चुनावों में दिखाई पड़ेंगे।
हालांकि
डेमोक्रेटिक सदस्यों ने एकता दिखाई, पर महाभियोग चलाने के तरीकों को लेकर उनके भीतर भी मतैक्य नहीं था। पर
रिपब्लिकन पार्टी के भीतर ट्रंप को लेकर जो तनाव पैदा हो गया है, वह क्या शक्ल लेगा, अभी स्पष्ट नहीं है। बताया जाता है कि देश में
रिपब्लिकन पार्टी के समर्थकों बहुत बड़ा हिस्सा ट्रंप का समर्थक है। यदि सीनेट के
दो तिहाई यानी 67 सदस्य ट्रंप के विरुद्ध महाभियोग को स्वीकार कर लेते, तो उसके बाद केवल 51 वोट से एक और प्रस्ताव
आसानी से पास हो सकता था, जिसके
तहत ट्रंप को हमेशा के लिए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया जा सकता था। पर
पार्टी के केवल सात सदस्यों का आगे आना बताता है कि ट्रंप को बचाने वालों की पर्याप्त
संख्या पार्टी के भीतर है।
रिपब्लिकन दरार
दूसरी तरफ यह बात
भी याद रखी जाएगी कि सदन में रिपब्लिकन पार्टी के नेता मिच मैकॉनेल की भूमिका
अंतर्विरोधी थी। हालांकि उन्होंने ट्रंप के पक्ष में वोट दिया, पर उन्होंने अपने भाषण में कहा कि मैं ट्रंप
के साथ अपने रिश्ते खत्म कर रहा हूँ और मैं यदि वे इस समय राष्ट्रपति पद पर होते
तो मैं उनके खिलाफ वोट देता। गत 6 जनवरी की हिंसा के लिए वे हर तरह से जिम्मेदार
हैं। यानी उन्होंने वोट ट्रंप के खिलाफ वोट केवल इसलिए नहीं दिया, क्योंकि वे मानते हैं कि किसी पूर्व
राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग लाना अनुचित है। सीनेट को पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ
अभियोग लगाने का अधिकार नहीं है। उन्होंने पहले ही इस बात की घोषणा कर दी थी कि
मैं महाभियोग के खिलाफ वोट दूँगा।
अब 2022 के चुनाव
मैकॉनेल और उनकी पार्टी के लिए चुनौती बनकर सामने आने वाले हैं। बड़ी संख्या में
पार्टी के बुनियादी वोटर ट्रंप-समर्थक हैं। ट्रंप-विरोधियों को अंदेशा इस बात का
है कि अब जब सीनेट से उन्हें प्राणदान मिल गया है, तो वे फिर से अपने पुराने अंदाज में वापस लौटेंगे।
दूसरी तरफ ऐसे वोटरों को वापस लाने की चुनौती है, जो पिछले चार साल में ट्रंप के तौर-तरीकों से नाराज
होकर पाला बदल चुके हैं। ट्रंप के पक्ष में वोट देने वाले रिपब्लिकन पार्टी के कई
सीनेटरों ने व्यक्तिगत बातचीत में कहा है कि वोटर के रूप में हमारे लिए ट्रंप को
फिर से राष्ट्रपति पद के लिए वोट देना मुश्किल होगा। सभी की नाराजगी 6 जनवरी की
घटना को लेकर है।
‘ट्रंपब्लिकन संप्रदाय’
पिछले चार साल में
ट्रंप ने रिपब्लिकन वोटरों के एक बड़े वर्ग को व्यक्तिगत भक्त संप्रदाय
(पर्सनैलिटी कल्ट) में तब्दील कर दिया है। रिपब्लिकन पार्टी के भीतर बने इस
‘ट्रंपब्लिकन समुदाय’ से जुड़े कट्टर समर्थक उनकी हर बात को सच मानने को तैयार
बैठे हैं। इसके लिए वे मरने-मारने को भी तैयार हैं। उन्होंने कोविड-19 से बचाव को
अस्वीकार करके बीमारी का कतरा मोल लिया और बहुतों ने जान दी। उन्होंने अपनी सरकार
के खिलाफ हल्ला बोला, संसद भवन
पर हमला किया। यह वोटर संप्रदाय अमेरिका की राजनीति से हटने से रहा। सवाल यह भी है
कि यह वर्ग कितना बड़ा है और किस हद तक ट्रंप का साथ यह देगा? क्या रिपब्लिकन पार्टी की प्राइमरी में इस
वर्ग की चलेगी? क्या ये लोग
‘गैर-ट्रंपब्लिकन’ प्रत्याशियों को आगे बढ़ने से रोकने में समर्थ होंगे?
सवाल यह भी है कि
रिपब्लिकन पार्टी की मुख्यधारा किस दिशा में सोच रही है। क्या वे इस ‘ट्रंपगर्दी’
से हाथ झाड़ने को तैयार हैं? इस
बात की पहली परीक्षा 2022 के मध्यावधि चुनाव की प्राइमरी में होगी। प्रतिनिधि सदन
और सीनेट में ट्रंप के खिलाफ वोट देने वालों को ट्रंप-समर्थकों के कोप का सामना
करना होगा। इनमें रिपब्लिकन पार्टी की वरिष्ठ नेता लिज़ चेनी का नाम भी है।
पूर्व
उपराष्ट्रपति डिक चेनी की बेटी लिज़ ने काफी मुखर होकर ट्रंप के विरुद्ध महाभियोग
का समर्थन किया था। उनके अलावा नौ अन्य सदस्यों ने भी महाभियोग के पक्ष में वोट
दिया था। लिज़ चेनी प्रतिनिधि सदन में पार्टी की तीसरे नंबर की नेता हैं। अब
उन्हें उन पदों से हटाने की कोशिश की जा रही है, जिनपर वे मौजूदा समय में हैं। वे वायोमिंग से चुनकर
आती हैं, जो रिपब्लिकन पार्टी
का गढ़ माना जाता है। राष्ट्रपति पद के इसबार के चुनाव में ट्रंप को सबसे बड़ी
मार्जिन से यहाँ विजय मिली थी। अब यहाँ 2022 की प्राइमरी के पहले ही ‘इम्पीच लिज़
चेनी’ के पोस्टर नजर आने लगे हैं। अंतिम परीक्षा 2024 के प्राइमरी में होगी,
जब सम्भावना इस बात की है कि ट्रंप
खुद प्रत्याशी होंगे।
2024 का
प्रस्थान-बिंदु
ट्रंप की मनोकामना
यदि फिर से चुनाव में उतरने की है, तो अमेरिका में साजिशों, अफवाहों,
आंदोलनों और उग्र बयानबाज़ी का एक दौर
फौरन ही शुरू हो जाएगा। यकीनन 2024 के चुनाव का प्रस्थान-बिंदु तैयार है। बातें तो
एक नई पार्टी के गठन की भी हो रही हैं। पर्यवेक्षक यह भी कहते हैं कि ट्रंप के
पीछे की भीड़ को बहुत ज्यादा आँकने की जरूरत नहीं है। ट्रंप की राजनीति की बुनियाद
उनके ट्विटर संदेशों पर टिकी थी। जैसे ही उनका ट्विटर हैंडल खत्म हुआ, उनकी आधी
राजनीति फुस्स हो गई। आभासी मीडिया की तरह से ट्रंप भी आभासी राजनेता हैं। वे जमीन
पर कम हवा में ज्यादा हैं।
मुख्यधारा के
मीडिया में अब ट्रंप के साथ कोई नहीं है। कुछ महीने पहले तक फॉक्स न्यूज उनके साथ
होता था। अब वह भी नहीं है। अब ट्रंप ने ओएएनएन और न्यूजमैक्स जैसे हाशिए के
मीडिया का हाथ थामा है। खबरें हैं कि ट्रंप अपना न्यूज चैनल भी शुरू कर सकते हैं।
यह बात 2016 के चुनाव के पहले से हवा में है। तब कहा जाता था कि यदि ट्रंप चुनाव
में हारे तो उनका न्यूज चैनल शुरू हो जाएगा। अब खबरें हवा में हैं कि ‘ट्रंप न्यूज
टेलीविजन’ और ट्विटर जैसा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी शुरू किया जा सकता है। उनके दामाद
जैरेड कुशनर इसके पीछे हैं। सवाल है कि क्या उनका मीडिया चल पाएगा और क्या अमेरिकी
कानून उसे चलने देंगे?
ज्यादा बड़ा सवाल
यह है कि रिपब्लिकन पार्टी उनके प्रभाव और दबाव में है या नहीं? पार्टी के संजीदा लोगों को समझ में आता है कि जुनूनी हरकतें जारी रहीं, तो
फायदा डेमोक्रेटिक पार्टी को मिलेगा। तब क्या पार्टी ट्रंप को हाशिए पर भेज पाएगी? पार्टी के सामने भी ट्रंप की छवि से वापस
लौटने की चुनौती है, पर कैसे? ट्रंप केवल ब्रैंड के रूप
में नहीं विचार के रूप में अमेरिका पर छाए थे। हालांकि वे महाभियोग से
बच गए हैं, पर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के तमाम रास्ते अभी खुले हैं।
टैक्स-चोरी, मनी-लाउंडरिंग, विदेशी राजनेताओं के साथ अनुचित रिश्तों को लेकर तमाम
आरोप उनपर हैं।
इस वोट के बाद
डोनाल्ड ट्रंप ने एक बयान जारी किया, जिसमें अपने समर्थकों और अपने पक्ष में वोट देने वाले सीनेटरों को धन्यवाद
दिया और कहा कि यह देश के इतिहास में सबसे बड़ा विच हंट था। उन्होंने यह भी कहा
है, ‘अमेरिका को फिर से महान बनाने का आंदोलन अब शुरू हो रहा है।’
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