उधर 23 नेता भी संवाद चाहते थे, पर अगस्त में उस पत्र के सामने आने के बाद उनपर जिस किस्म के हमले हुए उससे उनका रुख भी कड़ा होता गया। उसके बाद बात गाली-गलौज तक पहुँच गई और नेतृत्व की ओर से उनकी बात को समझने की कोई कोशिश दिखाई नहीं पड़ी।
अहमद पटेल और तरुण गोगोई को श्रद्धांजलि देने के लिए गत 27
नवंबर को कांग्रेस कार्यसमिति की वर्च्युअल बैठक में वह स्थिति बनी, जिसकी दोनों
पक्षों को तलाश थी। हालांकि वह उपस्थिति वर्च्युअल थी, पर गुलाम नबी आजाद और आनंद
शर्मा का दूसरे नेताओं से आमना-सामना हुआ। उस वक्त कई नेता यह प्रयास करते नजर आए
कि पार्टी में एकता स्थापित की जाए। उस बैठक में प्रियंका ने संवाद का सुझाव दिया,
ताकि पार्टी में एकता स्थापित हो, जो अहमद पटेल के लिए ज्यादा बड़ी श्रद्धांजलि
होगी।
सूत्रों का कहना है कि प्रियंका ने शिमला से वापस आने के
बाद आजाद से बात की। इसके बाद उनकी आजाद और आनंद शर्मा के साथ बैठक हुई। इस बात पर
सहमति बनी कि संवाद ही सही रास्ता है। उधर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ
की पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात हुई और एक बड़ी बैठक का विचार तैयार
हुआ। इसके बाद कमल नाथ ने असंतुष्ट नेताओं से मुलाकात की और तारीख वगैरह पर विचार
हुआ।
पत्र लेखकों में से एक ने कहा कि प्रियंका ने मामले को
सुलझाया। आखिरकार हम सब कांग्रेसी हैं और कोई नहीं चाहता कि मामला उलझे। हमें
बीजेपी से मुकाबले के लिए एक होकर रहना होगा। कुछ महीने पहले राजस्थान में पैदा
हुए विवाद को भी प्रियंका ने ही सुलझाया था। उन्होंने ही सचिन पायलट से सम्पर्क
किया था।
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