Saturday, December 12, 2020

चीन को तुर्की-ब-तुर्की जवाब

 


भारत और चीन के बीच जवाबी बयानों का सिलसिला अचानक चल निकला है। गत बुधवार 9 दिसंबर को ऑस्ट्रेलिया के एक थिंकटैंक लोवी इंस्टीट्यूट में विदेशमंत्री एस जयशंकर के एक बयान के जवाब में अगले ही दिन चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने लद्दाख के घटनाक्रम की सारी जिम्मेदारियाँ भारत के मत्थे मढ़ दीं। उन्होंने कहा कि हम तो बड़ी सावधानी से द्विपक्षीय समझौतों का पालन कर रहे थे। इसके जवाब में शुक्रवार को भारतीय प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि चीन को अपने शब्दों और अपने कार्यों का मिलान करके देखना चाहिए। 

अब शनिवार को विदेशमंत्री एस जयशंकर ने फिर कहा है कि पिछले सात महीनों से लद्दाख में चल रहे गतिरोध में भारत की परीक्षा हुई है और इसमें हम सफल होकर उभरेंगे और राष्ट्रीय सुरक्षा की चुनौतियों पर पार पाएंगे। फिक्की की वार्षिक महासभा के साथ एक इंटर-एक्टिव सेशन में जयशंकर ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में जो हुआ, वह वास्तव में चीन के हित में नहीं था। इस घटना-क्रम के कारण भारत के प्रति दुनिया की हमदर्दी बढ़ी है। 

उन्होंने एलएसी पर हुए घटनाक्रम को बहुत परेशान करने वाला बताया और कहा कि इससे काफी बुनियादी चिंताएं खड़ी हो गई हैं। जब उनसे पूछा गया कि यह गतिरोध क्या लम्बे समय तक चलेगा या इसके टूटने की उम्मीद है, उन्होंने कहा, मैं भविष्यवाणी करने की स्थिति में नहीं हूँ कि यह काम आसान होगा या नहीं और इसमें कितना समय लगेगा वगैरह।

उन्होंने कहा कि जो हुआ है, वह चीन के हित में नहीं है। इसका गहरा असर (भारत के) लोगों के मन पर पड़ा है। पिछले कई दशकों में मैंने भारत के लोगों की चीन के प्रति धारणा बनते देखी है। मुझे लगता है कि तमाम प्रयायों से जो सदाशयता बनी थी, वह खत्म हो जाएगी।

 

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