कांग्रेस पार्टी में बड़े बदलावों को लेकर चल रही अटकलों के बीच राहुल गांधी कहा है कि हमें निडर लोगों की जरूरत है, डरपोकों की नहीं। पार्टी को लेकर कुछ खबरें और हैं। पंजाब के नेता नवजोत सिंह सिद्धू की आज पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात हुई है। इस दौरान राहुल गांधी और पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत भी मौजूद थे। इस मुलाकात में क्या बात हुई यह अभी साफ नहीं है।
माना जा रहा है कि
उन्हें पंजाब में पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाएगा। उनके साथ एक हिंदू और एक दलित
वर्किंग प्रेसीडेंट की भी बात हो रही है। इस खबर के साथ पंजाब की कलह सुलझने के
बजाय उलझती नजर आ रही है। पंजाब से मिल रही खबरों के मुताबिक कैप्टेन अमरिंदर सिंह
किसी भी कीमत पर सिद्धू को अध्यक्ष के पद पर नहीं देखना चाहते हैं। सूत्र बता रहे
हैं कि कैप्टन अड़ गए हैं। कैप्टन ने कहा है कि चुनाव उनकी अगुवाई में लड़ा जाएगा
और इसबार भी हम पिछली बार से कम सीटें नहीं जीतेंगे। दूसरी तरफ सिद्धू-खेमा कह रहा
है कि वे चुनाव प्रचार समिति का प्रमुख या कार्यकारी समिति का सदस्य बनने को तैयार
नहीं।
अटकलें
ही अटकलें
इसके पहले राहुल, प्रियंका
और केसी वेणुगोपाल की उपस्थिति में चुनाव-योजना प्रबंधक प्रशांत की सोनिया गांधी
के साथ हुई मुलाकात के बाद से पार्टी के कदमों को लेकर कई तरह की अटकलें हैं। एक
दिन पहले एक खबर और हवा में उड़ी है कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ
को पार्टी का कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जा रहा है। साथ ही सम्भवतः पार्टी
की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी स्थायी अध्यक्ष बन जाएंगी। इस व्यवस्था के
राजनीतिक निहितार्थ क्या होंगे, इसे लेकर अटकलें भी शुरू हो गईं है।
मई 2019 में लोकसभा
चुनाव के परिणाम आने के बाद से पार्टी के भीतर और बाहर संशय की स्थिति है। पार्टी कार्यसमिति
की बैठक में राहुल गांधी ने अपने इस्तीफे की पेशकश की, पर बाहर इसकी खबर आने नहीं
दी गई। फिर यह खबर तब पुष्ट हो गई, जब राहुल गांधी का एक लम्बा पत्र सामने आया। पहली
नजर में किसी के समझ में नहीं आया कि राहुल गांधी की योजना क्या है। वे और अधिकार
सम्पन्न होना चाहते हैं? या
आंतरिक लोकतंत्र की किसी व्यवस्था की स्थापना करना चाहते हैं? सवाल यह भी था क्या पार्टी गांधी-नेहरू
परिवार के बगैर काम चला सकती है? बहरहाल
राहुल गांधी ने युवा कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ पदाधिकारियों से मुलाकात की और उनसे
कहा कि मैं अपने इस्तीफे पर कायम हूँ।
उसके बाद से पार्टी
की अंतरिम अध्यक्षता सोनिया गांधी के पास है। पिछले साल अगस्त में पार्टी के 23
वरिष्ठ नेताओं की चिट्ठी उजागर होने के बाद से संशय और बढ़ा है। असंतुष्टों की
माँग पार्टी के भीतर के लोकतंत्र से जुड़ी है। राहुल गांधी के इस्तीफे को दो साल
से ज्यादा समय हो गया है, नए अध्यक्ष ने कमान संभाली नहीं है। इस दौरान ज्योतिरादित्य
और जितिन प्रसाद ने पार्टी छोड़ी है। सचिन पायलट एक पैर बाहर लटका कर बैठे हैं। यह
बात लगातार हवा में है कि कुछ और नेता पार्टी छोड़ेंगे।
डरने
वाले जाएं
इस पृष्ठभूमि में राहुल गांधी ने कहा है कि जो डरते हैं, वे पार्टी छोड़ दें। इतना ही नहीं उन्होंने कांग्रेस छोड़कर जाने वालों को आरएसएस का आदमी भी करार दिया है। शुक्रवार 16 जुलाई को पार्टी की सोशल मीडिया यूनिट की वर्चुअल बैठक में उन्होंने कहा कि कांग्रेस को निडर लोगों की जरूरत है, कमजोर लोगों की नहीं। जो संघ की विचारधारा में विश्वास रखते हैं, ऐसे लोगों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, 'ऐसे बहुत से लोग हैं जो निडर हैं लेकिन
कांग्रेस में नहीं हैं। उन्हें पार्टी में लाया जाना चाहिए और जो डरते हैं (बीजेपी
से) उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाना चाहिए। हमें ऐसे लोगों की जरूरत नहीं है जो
आरएसएस की विचारधारा में यकीन रखते हैं। ...चलो भैया जाओ। आरएसएस के हो, जाओ भागो, मजे लो। नहीं चाहिए, जरूरत नहीं है तुम्हारी। हमें निडर लोग
चाहिए। यह हमारी आयडियोलॉजी है।'
राहुल गांधी के इस
बयान के निशाने पर ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद जैसे नेता हैं जो कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में
शामिल हुए हैं। इसके अलावा यह कांग्रेस के उन नेताओं के लिए भी साफ संदेश है जो
बागी तेवर अपनाए हुए हैं। पार्टी में पहले से ही असंतुष्ट नेताओं का 'जी-23' समूह है। दूसरी तरफ पंजाब में भी चुनाव
से पहले पार्टी में गुटबाजी चरम पर है। ज्योतिरादित्य सिंधिया को हाल में हुए मोदी
मंत्रिपरिषद विस्तार में जगह मिली है। उन्हें और जितिन प्रसाद दोनों को कभी राहुल
गांधी के बेहद करीबी नेताओं में गिना जाता था।
ज्योतिरादित्य और
जितिन प्रसाद से पहले रीता बहुगुणा जोशी, हेमंत बिस्व सरमा जगदम्बिका पाल, चौधरी वीरेंद्र सिंह, राधाकृष्ण विखे पाटिल और नारायण राणे
जैसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भी कांग्रेस का हाथ छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे।
सूत्रों के मुताबिक राहुल ने एक बार फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना साधते
हुए कहा, "सिंधिया
जी डर गए कि बीजेपी मेरा महल ले जाएगी, घर ले जाएगी तो वे बीजेपी में चले गए।"
नया
अंदाज
बताते है कि कांग्रेस
अब नए अंदाज में सामने आने वाली है। यह पहला मौका है, जब राहुल गांधी ने कांग्रेस
के सोशल मीडिया विभाग के करीब 3,500 कार्यकर्ताओं को ज़ूम के माध्यम से हुई वीडियो
कांफ्रेंस में सम्बोधित किया। पार्टी सूत्रों के अनुसार उन्होंने विभिन्न
क्षेत्रों से जुड़े दस के आसपास युवा कार्यकर्ताओं से व्यक्तिगत रूप से भी संवाद
किया। उन्होंने इन्हें संदेश दिया कि मैं हमेशा आपके साथ हूँ। मुझसे सम्पर्क करने
में घबराएं नहीं, आप मेरे परिवार में शामिल हैं। आप अपने भाई से बात कर रहे हैं। यह
बात उन्होंने शायद इस शिकायत के परिप्रेक्ष्य में कही है कि पार्टी के
कार्यकर्ताओं की नेतृत्व से दूरी रहती है। बहरहाल अगले कुछ दिन महत्वपूर्ण होंगे।
इस दौरान संसद का मॉनसून सत्र भी शुरू हो रहा है, इसलिए संगठन से जुड़े फैसले या
तो सत्र शुरू होने के पहले हो जाएंगे या फिर सत्रावसान के बाद।
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